उतनी ही शान के साथ आज भी सीना ताने खड़ी है : ग्रेट वाल ऑफ़ चीन के बाद सबसे लम्बी दीवार यहां है राजस्थान में | Kumbhalgarh Festival

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kumbhalgarh festival 2017

द ग्रेट वाल आॅफ चाइना के बारे में सभी जानते हैं। यह दुनिया की सबसे लंबी दीवार है जिसकी लंबाई 3600 किमी है। इस दिवार का नाम विश्व धरोहरों में शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ​विश्व की दूसरे नंबर की सबसे लंबी दीवार कौनसी है। यह दीवार राजस्थान के मेवाड़ जिले में है। मेवाड़ के कुंभलगढ़ किले में बनी यह दीवार 36 किमी लंबी और 15 फीट चौड़ी है। करीब 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस फोर्ट के परकोटे से सटी यह दीवार इतनी चौड़ी है कि उस जमाने में एक साथ 10 घोड़े इस दीवार पर एक साथ दौड़ सकते थे। आज इतने सालों के बाद यह दीवार थोड़ी पुरानी जरूर हो गई है लेकिन उतनी ही पुरानी शान के साथ आज भी सीना ताने खड़ी है। Kumbhalgarh Festival 2017

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कुंभलगढ़ दुर्ग की इस लंबी दीवार का निर्माण मेवाड़ के राजा महाराणा कुम्भा ने कराया था। इस कुंभलगढ़ दीवार का निर्माण वर्ष 1443 से 1458 के बीच हुआ था। इसके निर्माण में 15 साल लगे थे। इसी के साथ लगते हुए कुंभलगढ़ किले के ऊंचे स्थानों पर महल, मंदिर व आवासीय इमारतें बनाई गई और समतल भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया गया है। यह किला 7 विशाल द्वारों व सुदढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है। इसके उपरी भाग में बादल महल और सबसे ऊपर व कुम्भा महल है। हल्दी घाटी के युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप काफी समय तक इसी दुर्ग में रहे थे, ऐसा माना जाता है। Kumbhalgarh Festival 2017

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मान्यता है कि वर्ष 1443 में राणा कुम्भा ने कुंभलगढ़ किले में इस दीवार का निर्माण कार्य शुरू तो कर दिया लेकिन किन्हीं वजहों से यह कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। कोई न कोई रूकावट बार—बार आड़े आ रही थी। इस बात पर चिंतित होकर महाराणा ने एक संत को बुलाया। संत ने बताया कि यह काम तभी आगे बढ़ेगा जब स्वेच्छा से कोई मानव बलि के लिए खुद को प्रस्तुत करे। अब महाराणा की चिंता और बढ़ गई और वह सोचने लगे कि आखिर कौन इसके लिए आगे आएगा। उनकी चिंता समझ संत खुद ही अपने प्राणों का बलिदान देने को तैयार हो गया। संत ने कहा कि उसे पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां वो रुके वहीं उसे मार दिया जाए। राणा के आदेश से बिलकुल ऐसा ही हुआ। वह संत 36 किलोमीटर चलने के बाद रुक गया। जहां वह रूका वहीं उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया। जहां  उसका सिर गिरा, वहां मुख्य द्वार हनुमान पोल है और जहां पर उसका शरीर गिरा, वहां दूसरा मुख्य द्वार है। Kumbhalgarh Festival 2017

कुम्भलगढ़ फेस्टिवल : 1 से 3 दिसम्बर 2017 Kumbhalgarh Festival 2017

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अरावली के सर्वोच्च शिखर पर आयोजित होने वाला कुम्भलगढ़ शास्त्रीय नृत्य महोत्सव ऐसा समागम है जहां भारत के सबसे बेहतरीन शास्त्रीय संगीतकार, कलाकार और प्रसिद्ध कलाकार उनकी सर्वश्रेष्ठ कला प्रदर्शन करते हैं। कुम्भलगढ़ फेस्टिवल के मुख्य रूप से दो भाग हैं, एक दिन में और दूसरे शाम को। दिन में, पर्यटकों के लिए कुछ अद्भुत प्रतियोगिताओं के साथ राजस्थान के लोक कलाकारों द्वारा लोक प्रदर्शन किया जाता है। कुंभलगढ़ में शाम को प्रभाशाली ध्वनि, प्रकाश, रंग और नृत्य के शो के द्वारा इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। Kumbhalgarh Festival 2017

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