राजस्थान का हर जिला इतिहास का बहुत कुछ अपने आप में समेटे हुए हैं। देश में राजस्थान की अपने राजसी वैभव, उत्कृष्ट शिल्पकारी, लजीज खान-पान और सांस्कृतिक स्वरूप की दृष्टि से अलग ही पहचान है। प्रदेश के लगभग हर जिले के बारे में ऐसी कई बातें मिल जाएगी जो उसे बहुत ही ख़ास बनाती है। आज हम राजस्थान की जिस जगह के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसका नाम जालोर है। जालोर मरुप्रदेश राजस्थान का एक जिला तो है ही साथ ही यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण जगह है। प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम ने गुर्जर प्रतिहार राजवंश की स्थापना 725 ईस्वीं में जालोर के भीनमाल में की और इसे अपनी राजधानी भी बनाया था। इसके अलावा जालोर आज देशभर में कई वजहों से अपनी ख़ास पहचान रखता है। आइये जानते हैं..
1200 के करीब ग्रेनाइट इकाइयों के कारण जालोर हो गया है देश की ग्रेनाइट सिटी Jalore Granite City
राजस्थान में अरावली पर्वतमाला विशाल भूभाग में फैली हुई है। अरावली पर्वत शृंखलाओं के पहाड़ जालोर के लिए एक अमूल्य धरोहर है। अरावली के पहाड़ों से निकलने वाले ग्रेनाइट ने जालोर को आज देश ही नहीं विदेशों में भी पहचान दिलवाई है। जालोर में आज करीब 1200 ग्रेनाइट इकाइयां हैं, यही कारण है कि आज जालोर देशभर में ग्रेनाइट सिटी के नाम से जाना जाता है। जालोर में अरावली के पहाड़ों से निकलने वाले पत्थर की मांग पूरी दुनिया में है। जालोर स्थित पहाड़ो से सिर्फ ग्रेनाइट ही नहीं बल्कि जिप्सम भी यहां प्रचुर मात्रा में निकलता है। जालोर में बड़ी संख्या में तेल और गैस भंडार भी मिले हैं। तेल उत्पादन व जिप्सम लिग्राइट की प्रचुर मात्रा वाला बाड़मेर जिला भी जालोर की सीमा से सटा हुआ है। यही वजह है कि जालोर की सीमा पर भी तेल एवं प्लोराइट व जिप्सम समेत अन्य बहुमूल्य खनिजों की प्रचूर संभावनाओं को देखते हुए सर्वे का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। Jalore Granite City
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देश का पहला भालू अभ्यारण्य घोषित किया गया जालोर का जसवंतपुरा वन क्षेत्र Jalore Granite City
जसवंतपुरा उपखंड मुख्यालय के आसपास के जंगलों और पहाड़ी क्षेत्र को देश का पहला भालू अभ्यारण्य भी कहा जाता है। यहां भालुओं की संख्या करीब 400 है। यही कारण है कि इस वन क्षेत्र को देश का पहला भालू अभ्यारण्य घोषित किया गया है। इसके अलावा जालोर ईसबगोल और जीरा उत्पादन में न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। जालोर में कुल 9 तहसीलें हैं और 8 पंचायत समितियां हैं और यह जिला जोधपुर संभाग में आता है। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग भी जालोर के भीनमाल आया था। जालौर किला, जहाज मंदिर, श्री स्वर्णगिरी तीर्थ, श्री उमेदपुर तीर्थ, तीर्थेद्रनगर, चामुंडा देवी मंदिर, आशापुरी मंदिर और मलिक शाह पीर की दरगाह यहां प्रसिद्ध स्थल है। Jalore Granite City
ऐतिहासिक रूप से बड़ा महत्व रखता है जालोर Jalore Granite City
वर्तमान में जालोर के नाम से पहचान रखने वाला शहर प्राचीनकाल में महर्षि जाबालि की तपोभूमि हुआ करता था, जिसके कारण यह शहर जाबालिपुर के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे जालोर कहा जाने लगा। इसे अब जलालाबाद दुर्ग, जाबालिपुर दुर्ग, सुवर्णगिरी दुर्ग व ग्रेनाइट सिटी के नाम से भी जाना जाता है। जालोर दुर्ग का निर्माण गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट प्रथम ने सूकड़ी नदी के किनारे स्वर्णगिरी पर्वत पर करवाया था। यह दुर्ग आन, बान व शान का प्रतीक रहा है। यह दुर्ग राजस्थान के सबसे ऊंचे तीन दुर्गों में शामिल है। इस दुर्ग पर जन्मे कान्हड़देव व वीरमदेव ने अलाउद्दीन खिलजी तक के आक्रमण का सामना किया था। सबसे मजबूत दुर्ग के रूप में पहचान रखने वाले इस दुर्ग पर चढ़ाई करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी को कई महीनों तक यहां डेरा डाले बैठना पड़ा। दुश्मन किले के द्वार तक नहीं खोल सके थे। आज हजार से ज्यादा शताब्दियों के बीत जाने के बावजूद यह दुर्ग आज भी अपने शानदार इतिहास की कहानी दिखाता नज़र आता है। Jalore Granite City