जयपुर। काेराेना महामारी और लाॅकडाउन के कारण पिछले तीन महीने से सभी मंदिराें के कपाट भक्ताें के लिए बंद है। उदयपुर में 26 साल से जारी प्रभु जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा, नगर भ्रमण काे भी इस बार रद्द करना पड़ा है। रथयात्रा की शुरुआत 1995 से हुई थी, इससे पहले प्रभु काे रजत रथ में विराजित कर मंदिर परिसर में ही परिक्रमा करवाई जाती थी। यह परंपरा भी 368 वर्ष पुरानी है। इस बार पाबंदियों के चलते इसी पुरानी परंपरा काे 23 जून को रथयात्रा के दिन फिर से दाेहराया जाएगा। आषाढ़ शुक्ल बीज काे हाेने वाली परिक्रमा के लिए प्रभु के रथ सजाने की शुरुआत एकादशी से होगी। 23 जून को भक्त प्रभु की मंदिर परिक्रमा के लाइव दर्शन कर सके इसके लिए पूरे कार्यक्रम को मंदिर से ही फेसबुक पर लाइव किया जाएगा। हालांकि रथयात्रा समिति ने रथयात्रा निकालने के संबंध में प्रशासन से अनुमति मांगी थी। इसमें संख्या और रूट सीमित रखने के अलावा कई विकल्प थे।
जगदीश मंदिर के पुजारी हुकुमराज, रामगोपाल ने बताया कि एकादशी की पूजा के बाद परंपरानुसार भगवान के रथ की साफ-सफाई और रंग-रोगन किया जाएगा। रथ के चांदी की गुंबद को गेरू से पॉलिश करने के साथ चवर की मरम्मत होगी। प्रभु के इस रथ काे तैयार हाेने में पांच दिन लगेंगे। परिक्रमा से पहले रथ का शुद्धिकरण गंगाजल, पंचगव्य गंगाजल का छिड़काव कर किया जाएगा। इसके बाद हवन-पूजा हाेगी। आषाढ़ शुक्ल बीज के दिन प्रभु जगन्नाथ रथ पर विराजमान होंगे। प्रभु के विराजित होने से पहले रथ काे इत्र, चंदन, मोगरा और गुलाब के पुष्पों से सजाया जाएगा। मंदिर के पुजारी परिषद के सदस्य विधि-विधान और पारम्परिक तौर पर कार्यक्रम करेंगे।