एक तरफ जहां राजस्थान सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लोकसेवकों और सरकारी अधिकारियों को झूठे केसों में फंसने से बचाने के लिए आॅर्डिनेंस बिल लाने पर विचार कर रही है। वहीं राजस्थान के बड़े—बड़े अधिकारी अपनी भ्रष्टाचारी हरकतों से बाज आते नहीं दिख रहे हैं। एक एक केस में फंस गए और अगर वहां से बरी हो भी गए तो क्या, दूसरा केस उनका इंतजार कर रहा हो, ऐसा ही कुछ राजस्थान में हो रहा है।
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ऐसा ही एक मामला है राजस्थान कैडर के आईएएस नीरज के. पवन का। पवन पर एक करोड़ रूपए से अधिक की रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और इसलिए उन्हें 8 माह जेल में भी रहना पड़ा है। राजस्थान सरकार ने नीरज के. पवन को इसी महिने सात नवंबर को बहाल किया है।
लेकिन अब यह आईएएस अधिकारी फिर से जेल की हवा खा सकता है। दरअसल पवन पर अन्य आरोप है कि जब आईएएस नीरज के. पवन चिकित्सा विभाग में मिशन निदेशक थे, तब उन्होंने गलत तरीके से अपने दो रिश्तेदारों को विभाग में नौकरी पर लगवाया था।अब फिर से एक नए पेंच में फंसते नजर आ रहे नीरज के. पवन के खिलाफ एसीबी के अधिकारियों ने सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी है। इससे पूर्व भ्रष्टचार के आरोप में घिरे आईएएस अशोक सिंघवी को भी राजस्थान सरकार में हाल ही में बहाली दी गई है।