महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का यू-टर्न, साल 2010 में कर चुके हैं विरोध 

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    Kapil Sibal

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू की ओर से खारिज किए जाने के बाद से ही बीजेपी व कांग्रेस के बीच घमासान जारी है। प्रस्ताव खारिज करने पर बीजेपी इसे नियमों के अनुरूप बता रही है तो कांग्रेस इसे असंवैधानिक करार दे रही है। पिछले शुक्रवार को 7 पार्टियों के 64 सांसदों ने हस्ताक्षर कर प्रस्ताव का समर्थन किया था लेकिन इसे खारिज करने किए जाने के बाद अब विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। Kapil Sibal

    महाभियोग प्रस्ताव पर कपिल सिब्बल ने लिया यू-टर्न Kapil Sibal

    सीजेआई के खिलाफ महाभियोग मामले का नेतृत्व कांग्रेस की तरफ से खुद वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल कर रहे हैं। साथ ही महाभियोग प्रस्ताव के घमासान के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल यू-टर्न लेते हुए भी दिख रहे हैं। जब साल 2010 में कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी तब मंत्री पद रहते हुए कपिल सिब्बल का महाभियोग प्रक्रिया को लेकर स्टैंड बिल्कुल अलग था। वहीं अब सत्ता से बेदखल होने के बाद सिब्बल की जुबान पलटती हुई दिख रही है। Kapil Sibal

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    साल 2010 में प्रमुख मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कपिल सिब्बल ने कहा था कि “मुझे लगता है कि अगर राजनेता जजों का भाग्य तय करने लगे तो यह देश के लिए सबसे बड़ा नुकसान होगा।“  इतना ही नहीं सिब्बल ने साल 2010 में महाभियोग पर सवाल उठाते हुए इसकी पूरी प्रक्रिया को ही असंवैधानिक बताया था। तत्कालीन मंत्री कपिल सिब्बल ने उस समय कहा था कि  ”अगर आप एक व्हिप जारी करते हैं तो आप एक सदस्य को उसका न्यायिक निर्णय करने से रोकते हैं, क्योंकि अगर आप संसद में महाभियोग प्रक्रिया के दौरान मौजूद हैं तो आप जज हैं।” कांग्रेस सत्ता में रहते हुए खुद महाभियोग का कई बार विरोध कर चुकी हैं लेकिन अब विपक्ष में आने के बाद इसके पक्ष में समर्थन कर रही है। Kapil Sibal

    साल 2010 व 1993 में कांग्रेस कर चुकी है महाभियोग प्रस्ताव का विरोध Kapil Sibal

    गौरतलब है कि पूर्व में कांग्रेस सरकार के शासन में जब जज सौमित्र सेन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे उस समय महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा में पारित हो चुका था। लेकिन लोकसभा में वोटिंग होने से पहले ही जज सेन ने स्वयं इस्तीफा दे दिया था जिस वजह से उन पर महाभियोग प्रक्रिया पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई। सिब्बल ने उस समय तर्क दिया था कि जज से जुड़े ऐसे किसी भी मुद्दे पर वह ऐसी कोई व्यवस्था नहीं चाहते हैं जिसमें राजनीतिक पार्टियों के सदस्य फैसला करें। Kapil Sibal

    वहीं साल 1993 में भी जब संसद में सुप्रीम कोर्ट जज वी रामास्वामी के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की गई तो सिब्बल ने ही उनका बचाव किया था। जब सोमवार को कपिल सिब्बल से इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि व्हिप जारी करने के उस वक्त और अब के समय में उनका क्या स्टैंड है तो उन्होंने कहा कि मैं अभी भी अपने पहले वाले विचार के पक्ष में खड़ा हूं। लेकिन मौजूदा हालातों में साफ तौर पर दिख रहा है कि सत्ता में रहते समय व विपक्ष में आने के बाद कांग्रेस पार्टी का महाभियोग को लेकर स्टैंड निश्चित नहीं है। Kapil Sibal

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