देश में 8 नवंबर, 2016 की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा की गई थी। रात के 12 बजे बाद 1000 और 500 के नोट चलन से बाहर हो गए थे। मोदी सरकार ने यह फैसला कालेधन को बाहर लाने, आतंकवादी संगठनों की फंडिग में रोक और नकली नोटों को बाजार चलन से बाहर करने के लिए लिया था। शुरूआती दिनों में लोगों को इससे परेशानी जरूर हुई लेकिन कुछ दिनों बाद से व्यवस्था धीरे धीरे पटरी पर आ गई। हालांकि, नए नोटों की प्रर्याप्त उपलब्धता नहीं होने के कारण लोगों को लंबी लाइनों में लगना पड़ा। केंद्र सरकार ने हाल ही में कुछ समय पहले एक और बड़ा फैसला करते हुए जीएसटी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू की है। जिसमें विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी के लिए अलग अलग स्लैब बनाए गए है। जीएसटी को लेकर खासतौर पर व्यापारी वर्ग में नाराजगी देखी गई है। हालांकि केंद्र सरकार जीएसटी करों की रेट में सुधार भी कर रही है। नोटबंदी और जीएसटी का चुनावों में कितना असर होगा, आज हम उस पर बात करने जा रहे हैं। और हाल ही में हुए सर्वें में लोगों की इस बारे में रॉय के बारे में भी बात करेंगे।
नोटबंदी और जीएसटी का चुनावों में नहीं होगा असर
देश के दो राज्य हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें से हिमाचल में 9 नवंबर को विधानसभा की कुल 68 सीटों के लिए चुनाव हो चुके हैं। वहीं अब गुजरात में विधानसभा चुनाव होने बाकी है। गुजरात चुनाव में एक महीने से भी कम का समय बचा है। गुजरात में इस बार आरक्षण जैसी मांग को लेकर कुछ वर्गों के वोटों के ध्रवीकरण की बात की जा रही है। लेकिन हाल ही में एक प्रमुख अखबार द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े सामने नहीं आए हैं। सर्वे के अनुसार गुजरात में वोटों का ध्रवीकरण नहीं होगा और मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होना तय माना जा रहा है। सर्वे के अनुसार वोटर पार्टी और कैंडिडेट को ध्यान में रखकर ही वोट करेंगे। नोटबंदी व जीएसटी जैसे मुद्दे चुनाव में हावी रह सकते हैं लेकिन इनका असर नहीं होगा।
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40 प्रतिशत लोगों ने यह राय
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर किए गए एक सर्वे में नोटबंदी-जीएसटी का असर के बारे में सवाल पूछे गए, इन सवालों के जबाव में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की राय में नोटबंदी-जीएसटी का चुनावों में कोई असर नहीं होगा।
सर्वे में यह भी सामने आया है कि 61 प्रतिशत वोटर कैंडिडेट की जाति देखकर ही वोट देंगे। 65 प्रतिशत लोगों की राय में नए चेहरे हार्दिक पटेल, अल्पेश या जिग्नेश का चुनाव के नतीजों में कोई असर नहीं होगा।
आरक्षण की मांग करने वाले पाटीदार बीजेपी को मौका देने के पक्ष में
गुजरात चुनावों से पहले किए गए सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि आरक्षण की मांग कर रहा पाटीदार समुदाय भी बीजेपी को एक और मौका देने के पक्ष में है। बता दें कि जनसंख्या के हिसाब से गुजरात में पाटीदारों की 15 से 20 प्रतिशत पॉपुलेशन है। और यह समुदाय करीब 30 विधानसभा सीटों पर सीधा-सीधा प्रभाव रखता है।