राजस्थान के युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बजट में जो 5500 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती की घोषणा की थी वह जल्द ही होने जा रही है। इस भर्ती के लिए प्रदेश के गृह मंत्रालय ने अपनी स्वीकृति दे दी है। अब प्रदेश के युवाओं को देश सेवा, समाज सेवा और परिवार सेवा का एक बेहतर मौका मिल रहा है। आपकों बतादें कि प्रदेश में पिछले तीन सालों में करीब 14 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती की जा चुकी है।
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- राजस्थान में 5500 पुलिस कांस्टेबलों की होनी है भर्ती
- मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने बजट में किया था ऐलान
- जिले वार होगी भर्ती, जिस जिले में ज्यादा पद होंगे रिक्त उन्हे मिलेगा लाभ
- प्रदेश के गृह मंत्रालय ने 5500 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती के लिए दी अपनी स्वीकृति
- इससे पहले साढ़े तीन साल में 13 हजार 655 पुलिस कर्मियों की हो चुकी है भर्ती
5500 नए रंगरूट शामिल होंगे प्रदेश के पुलिस बेड़े में
राज्य सरकार ने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में 13 हजार 655 भर्तियां की हैं। इसमें विशेष तौर पर टीएसपी क्षेत्र में 520 एवं सहरिया क्षेत्र 222 पदों पर भर्ती प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में 619 आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति भी दी गई है। गृह मंत्री कटारिया ने मुख्यमंत्री राजे का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस वर्ष के बजट में 5 हजार 500 कांस्टेबल भर्ती करने की घोषणा की थी उन्हे पुरा करने के लिए गृह मंत्रालय तत्पर है। पुलिस में रिक्त पदों को भरने और प्रदेश में शांति एवं कानून व्यवस्थान बनाएं रखने के लिए सरकार का यह कदम आवश्यक था। केन्द्र सरकार ने राज्य में पिछले तीन वर्षों में दो नई बटालियन स्वीकृत की हैं, जिनमें पहाड़ी में 14वीं बटालियन और प्रतापगढ़ में महाराणा प्रताप बटालियन शामिल हैं।
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13 हजार 655 नियुक्तियां हुई तीन साल में
राजस्थान में अपराध का आंकड़ा गिरा है तथा पुलिस व्यवस्था में भी जरूरी सुधार हुए है। पुलिस की सफलता के पीछे अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए बेहतर मॉनिटरिंग और नियमित समीक्षा रही। पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए गत तीन वर्षों में 13 हजार 655 नियुक्तियां की है। हम चाहते हैं कि पुलिस की सुविधाओं पर विशेषरूप से ध्यान दिया जाये, जिससे उन्हें बेहतर कार्य का वातावरण मिल सके। आपकों बतादें कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा में पुलिस की 52 अरब 4 करोड़ 29 लाख 62 हजार रुपये तथा कारागार की 1 अरब 46 करोड़ 40 लाख 76 हजार रुपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित की गई थी।