अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन 13वें दिन खत्म हुआ है। सरकार के साथ हुई बैठक में किसानों की शर्तों पर आंशिक सहमति के साथ किसानों ने अपना चक्काजाम और आंदोलन खत्म कर दिया। हालांकि देखा जाए तो इस बातचीत का कोई भी असर किसानों और सरकार पर नहीं पड़ने वाला है और जो जैसा है वैसा ही रहने की उम्मीद है। लेकिन एक बड़े फैसले के तहत किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी की शर्त पर सरकार ने 50 हजार रूपए तक का कर्ज माफ किए जाने पर हांमी भरी है। इससे सरकार पर 20 हजार करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।
लेकिन पहले इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी अन्य राज्यों में पहले किसानों को दिए जाने वाले कर्ज माफी का अध्ययन करेगी और उसके बाद में एक माह के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
इसके अलावा, लागत मूल्य से 50 फीसदी अधिक समर्थन मूल्य रखने के लिए केन्द्र को पत्र लिखने की मांग सरकार ने मानी। अब तक 3 वर्ष से बड़े बछड़ों की बिक्री ही हो सकती थी, इसे घटाकर दो वर्ष कर दिया है।
किसानों की मुफ्त बिजली की मांग को ठुकराया
वहीं किसानों को मुफ्त बिजली दिए जाने की मांग को सरकार ने पूरी तरह खारिज किया है। इस बारे में सरकार ने अपना पक्ष रखा है कि किसानों को केवल 90 पैसे प्रति युनिट की बेहद कम दर पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में किसानों के खेतों में लगे भारी पावर उठाने वाले पंपों को देखते हुए ऐसा कर पाना मुनासिब नहीं है। किसानों की डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले किसान आयोग लागू किए जाने की बात पर सरकार ने स्वामीनाथन टास्क फोर्स की 80 प्रतिशत से ज्यादा सिफारिशें पहले ही लागू किए जाने की बात बतार्इ् है। पशुओं को बेचने पर लगाई गई पाबंदी का कानून वापस लिए जाने को लेकर सर्वोच्य न्यायालय द्वारा रोक पहले ही लगी हुई है और पशु व्यापारियों की सुरक्षा पुख्ता करने की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया गया है। सीकर जिले को नहर से जोड़े जाने की बात पर सिंचाई मंत्री ने पंजाब सरकार के साथ एमओयू की कार्यवाही चलने की बात कही है।
बैठक में यह नेता रहे उपस्थित
सरकार की तरफ से वार्ता में कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, सहकारिता मंत्री अजयसिंह किलक, जलसंसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप, ऊर्जा मंत्री पुष्पेंद्रसिंह राणावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी शामिल हुए। किसान सभा की तरफ से पूर्व विधायक अमराराम, पेमा राम, माकपा नेता हरफूल सिंह, श्योपतराम, गुरुशरण सिंह, नारायण डूडी, लालचंद भादू और छगनलाल शामिल हुए।