राजस्थान सरकार द्वारा अपने शहरी जनजीवन को उनकी ज़मीन पर उनका मालिकाना हक़ दिलाने के लिए शुरू किये गए ”मुख्यमंत्री शहरी जनकल्याण शिविर” की अंतिम तारीख़ को बढ़ा दिया है। 10 मई से शुरू हुए इन शिविरों का आयोजन दो महीने के लिए 10 जुलाई तक किया जाना प्रस्तावित था। लेकिन सरकार की ओर से अब इन शिविरों का विस्तार किया गया है। इसके संचालन की अवधि को 1 महीना और बढ़ाकर 11 अगस्त तक किया जा रहा है। राज्य सरकार के नगरीय विकास विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर, विभागीय मंत्री श्रीचंद कृपलानी को भेज दिया है।
तो इसलिए बढ़ाई जा रही है शिविर अभियान की अवधि:
शहरी जनवासियों को उनकी ज़मीन का पट्टा देने के लिए चलाये गए इस अभियान की अवधि आगे बढ़ाने का कारण है जनसुविधाओं में विस्तार किया जाना। अधिक से अधिक शहरीजन को अभियान से जोड़कर सरकारी नीतियों का फायदा पहुँचाने के लिए इस शिविर अभियान की अवधि 1 महीने के लिए बढ़ाई जा रही है। अभियान की अवधि बढ़ाने के साथ ही इस दौरान शहरी निकायों से कार्ययोजना के सुझाव भी मांगे जायेंगे।
सरकार के इस जनकल्याण शिविर में जनहित से जुड़े कई कामों पर इन दिनों जोधपुर हाईकोर्ट द्वारा न्यायिक रोक लगा दी थी। लेकिन जनहित के काम में आने वाली सभी बाधाओं को पार करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाकर हाईकोर्ट के आदेशों पर स्टे लेने का प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जाने के बाद शहरीजन की सुविधाओं के कार्यों में तेजी आएगी।
जनता को मिलेगी ये सुविधाएँ:
इन शिविरों के माध्यम से आम शहरीजन को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक़ दिलाने का कार्य सरकार द्वारा विशेष रूप से किया जा रहा है। इसके साथ ही इन शिविरों में कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों का नियमन और सिवायचक भूमि पर बसी कॉलोनी व आवासों का नियमन भी किया जा रहा है। इन शिविरों में स्टेट ग्रांट एक्ट के अंतर्गत पट्टे जारी कर आमजन को राहत पहुंचाने का काम किया जा रहा है। शहरी कच्ची बस्तियों का नियमन कर खांचा भूमि का आवंटन भी किया जा रहा है। शिविरों के आगे बढ़ने से आम शहरीजन को ये सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर मिलेगी।