जनता को सुशासन देने का वायदा कर सत्ता में आई राजस्थान सरकार अपने पूरे प्रयासों से प्रदेश में सरकार और जनता के बीच जुड़ाव बढ़ाने के काम कर रही है। सरकार पारदर्शी प्रशासन बनाने की ओर ध्यान दे रही है। राजस्थान में पहली बार एक हज़ार खानों की ई-नीलामी एक साथ होने जा रही है। राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार के समय हुए खान घोटाले के बाद से प्रदेश में खान विभाग का काम ठप हो चुका था। अब राजस्थान सरकार खनन विभाग की सभी अनियमितताओं को दूर करते हुए, खानों की ऑनलाइन नीलामी करने जा रही है। इस ऑनलाइन नीलामी से विभाग की पूरी कार्यप्रणाली को जनता समझ पायेगी और इसमें किसी भी प्रकार की हेरा-फेरी होने की गुंजाईश ख़त्म हो जाएगी।
राजस्थान में पहली बार होने जा रही है, खानों की ई-नीलामी
राजस्थान के इतिहास में पहली बार खनन विभाग में ऑनलाइन तरीके से नीलामी होने जा रही है। राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में व्याप्त अफसरशाही को रोकने के लिए यह कदम उठाया है। यह नीलामी प्रक्रिया जुलाई माह के प्रथम सप्ताह से शुरू होने जा रही है। इसके लिए खान विभाग की तरफ से राजस्थान में छोटे-छोटे एक हज़ार ब्लॉक्स तैयार करने के लिए सर्वे किया जा रहा है। जून तक यह सर्वे पूरा कर जुलाई के पहले सप्ताह में नीलामी शुरू हो जाएगी। राज्य के इस विभाग से पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के दाग मिटाने के लिए केंद्र सरकार के उपक्रम एमएसटीसी की ओर से यह ई-नीलामी करवाई जाएगी।
बंद होगी नेता और अफसरों की मनमानी
राजस्थान सरकार के इस ऑनलाइन नीलामी के कदम से अफसरों की अफसरशाही और नेताओं की राजशाही पर लगाम कसी जा सकेगी। कोई भी अधिकारी स्वयं या अपने परिजनों को अब कोई भी नाजायज़ फायदा नहीं पहुंचा सकेगा। नीलामी का माध्यम ऑनलाइन होने से पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी। मनमर्ज़ी से ब्लॉक आवंटन नहीं होगा। ई-नीलामी के तहत बोली लगाकर ही खान का ब्लॉक लिया जा सकेगा।
हज़ारों करोड़ों की होगी आय
खान आवंटन में इस ई-नीलामी द्वारा राज्य सरकार को अरबों रूपए की आय होगी। केंद्र सरकार के खनन एक्ट में संशोधन के बाद राज्य में अनेकों बड़े ब्लॉक्स की सफल ई-नीलामी की जा चुकी है। पूर्व सरकार में जहाँ इन खानों की नीलामी प्रक्रिया के घोटालों की भेंट चढ़ जाने से बिलकुल भी आय नहीं होती थी, वहीँ इस सरकार में अब तक खानों की नियमित ई-नीलामी से राज्य को लगभग 16 हज़ार करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय हो चुकी है। राज्य सरकार के इस ईमानदारी और समझदारी भरे निर्णय से राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। इससे राज्य के विकास में सहयोग प्राप्त हुआ है।