धौलपुर हार के बाद आपस में उलझे कांग्रेसियों का एक नया रूप सामने आया है। प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेताओं की बीच अब नया शीतयुद्ध छिड़ गया है वो भी धौलपुर उपचुनाव के बाद एक दूसरे की टांग खिंचने का। कांग्रेसियों का यह नया शीतयुद्ध आपसी कलह और विवादों को खुलकर जनता के सामने पेश कर रहा है कि हम एक नही है। धौलपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था और इस हार का सबसे ब़ड़ा फेस था कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट। अब पायलट के अलावा जितने भी नेता थे अपने नंबर बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर एक दूसरे को नीचा दिखाने और एक दूसरे पर भारी साबित करने के लिए शीतयुद्ध लड़ बैठे है।
जुबानी जंग हो गई है तेज, एक दूसरे पर कर रहे है हमला
एक दूसरे पर खुद को भारी साबित करने के चक्कर में कांग्रेसी आपस में ही लड़ चुके है। धौलपुर विधानसभा में हार का सबसे बड़ा कारण भी यही आपसी कलह ही थी। प्रदेश कांग्रेस के कद्दावार नेता साबित होने के लिए कई दिग्गज कांग्रेसी अपने समर्थकों के जरिए सोशल मीडिया में एक्टिव हुए है। अपने समर्थकों को जरिए अपनी पहचान को संगठन में उबारने के लिए दिग्गज नेताओं में जुबानी जंग दिनोदिन तेज होती जा रही है। पहले जहां सोशल मीडिया से कांग्रेस के दिग्गज नेता दूर थे अब वही नेता अपनी अलग से आईटी टीम लेकर एक दूसरे पर हमला करते नजर आ रहे है।
गहलोत, पायलट है शीतयुद्ध के मुख्य केंद्र बिंदु
पहले से चल रही सोशल मीडिया की जंग में धौलपुर चुनाव के बाद तेजी आई है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में चुनावी नेतृत्व के लिए सबसे ज्य़ादा फिट की छवि बनाने के लिए बड़े नेताओं का सोशल मीडिया कैम्पेन मजबूत हथियार बन गया है। हालांकि यह जंग सीधे तौर पर न होकर समर्थकों से जरिए छिड़ी हुई है। इस जंग में प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी.पी. जोशी मुख्य रूप से शामिल है।
ताकत और समर्थन का खेल, दिल्ली आलाकमान को करेंगे पेश
पायलट जहां पार्टी की कमान संभालने के बाद लगातार खुद को मजबूत करने में जुट हुए है, लेकिन बार बार हो रही हार ने दूसरे दोनो धड़ों को बोलने का मौका दे दिया है। वहीं गहलोत और सीपी जोसी के समर्थक भी इन नेताओं को सोशल मीडिया के जरिए कमान सौंपने की मांग तेज कर रहे है। सुत्रों के मुताबिक समर्थकों की तादाद बढ़ाकर कद्दावर नेता प्रदेश में अपनी ताकत बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रहे है ताकि दिल्ली आलाकमान जब प्रदेश में नेतृत्व तलाश के लिए आए तो अपना कद बढ़ाकर पेश कर सके।