उत्तरप्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव घमाशान के बाद अब राजस्थान की घौलपुर विधानसभा उपचुनाव में सभी पार्टियों ने अपना दमखम दिखाना शुरू कर दिया हैं। राजस्थान में धौलपुर विधानसभा उपचुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के रुप में देखा जा रहा हैं साथ ही यह भाजपा और कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गया हैं। जहां कांग्रेस ने धौलपुर में अपने 11 बार चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी को मैदान में उतार कर मनोवैज्ञानिक हार स्वीकार कर ली हैं वही भाजपा ने पूर्व विधायक बी.एल कुशवाह की पत्नी शोभारानी को चुनाव मैदान में उतारकर जीत का दावा पेश किया हैं। आईये जानते हैं धौलपुर विधानसभा उपचुनाव में किसकी कैसी हैं तैयारी और कौन जाएगा राजधानी ?
कांग्रेसियों में नाराजगी, हारने के बाद भी क्यों मिलता हैं बनवारी लाल को मौका
प्रदेश की धौलपुर विधानसभा सीट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गृहक्षेत्र हैं, यहां पर भाजपा ने हमेशा से अपना दबदबा बनाएं रखा हैं। कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित करने में भी देर कर दी थी और इसके लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट सहित टीम को घौलपुर में जाकर जायजा लेना पड़ा। कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार केंद्रीय नेतृत्व से सहालकर चुना हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी बनवारी लाल शर्मा आजादी के बाद से ही चुनाव लड़ रहे हैं। 11 बार धौलपुर सीट से दावा करने वाले बनवारी लाल शर्मा को 6 बार हार का सामना करना पड़ा। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी शर्मा को बसपा के बी.एल कुशवाह के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। ऐसे में देखना यह होगा की इस बार कांग्रेस की क्या रणनीतियां रहती हैं। सवाल यह हैं कि आजादी के बाद से कांग्रेस एक ही परिवार को क्यों मैदान में खड़ा करती हैं, क्यों धौलपुर में कांग्रेस खुद को कमजोर समझ बैठी हैं।
हासिए पर खड़ी हैं प्रदेश कांग्रेस
सवाल कई हैं लेकिन हासिए पर खड़ी प्रदेश कांग्रेस के आलाधिकारी भी ऐसा लग रहा हैं जैसे अपने ही उम्मीदवार बनवारी लाल शर्मा का साथ नही दे रहे हैं। अब मन मसोसकर ही कांग्रेस चुनाव मैदान में हैं। पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सीपी जोशी जैसे नेताओं में मतभेद आ चुके हैं जिससे कांग्रेस प्रदेश में तीन अलग अलग धड़ों में विभाजित हो गई। खैर अब धौलपुर चुनाव पर गौर करते हैं।
ब्राह्मण और कुशवाह मतदाताओं में सैंध मुश्किल
यह उप चुनाव कांग्रेस के लिए आसान नही होगा। जातिगत आधार पर अगर गौर किया जाए तो भी कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना चुनौती हो सकती हैं। कांग्रेस के लिए हाल ही में हुए उत्तरप्रदेश में हुए चुनाव भी संकट के बादल खड़े कर सकता हैं। यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनो के लिए ही साख का सवाल बन गया हैं। सीट पर करीब 22 हजार से ज्यादा ब्राह्मण और 30 हजार कुशवाह मतदाता हैं अभी तक इन मतदाताओं में न तो भाजपा सैंध लगा पाई और ना ही कांग्रेस।
नजर एक बार पिछले चुनाव पर
कांग्रेस का एक खेमा बनवारी लाल शर्मा को टिकट देने से नाराज दिखाई दे रहा हैं। मसला यह हैं हारने के बावजूद भी बार बार एक ही प्रत्याशी को टिकट दिया जा रहा है। साल 2003 से लेकर बनवारी लाल शर्मा तीन चुनाव लगातर हार चुका हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो पूर्व विधायक बीएल कुशवाह को 49 हजार 892 मत, कांग्रेस के शर्मा को 40,683 और भाजपा के अब्दुल सगीर को 35,351 मत मिले थे।
वर्तमान सरकार ने किया सभी क्षेत्रों में विकास
वर्तमान सरकार ने धौलपुर विधानसभा सीट को अहमियत देते हुए पूर्व विधायक की पत्नी शोभारानी कुशवाह को चुनाव मैदान में उतारा हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने गृहनगर धौलपुर में विकास के मामले में कोई कोर-कसर नही छोड़ी हैं। 2017-18 के बजट में भी मुख्यमंत्री राजे ने धौलपुर को विषेश तरजीह प्रदान की हैं। गत तीन सालों में धौलपुर में शिक्षा, सड़क, परिवहन, यातायात, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं जिनसे क्षेत्र विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सका हैं।