दीपावली हिन्दूओं का एक प्रमुख और सबसे बड़ा त्यौहार है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन यानि दिवाली से दो दिन पहले आती है। इस बार धनतेरस 17 अक्टूबर यानि आज है। इस दिन सोना—चांदी के बर्तन, सिक्के सहित अन्य सामान खरीदे जाते हैं। दोपहिया व चौपहिया वाहन भी इस दिन जमकर बिकते हैं। व्यापार जगत में इस दिन का खास महत्व है। लेकिन यह धनतेरस मनाया क्यों जाता है और क्यों इस दिन सोने—चांदी के बर्तन खरीदे जाते हैं, इस बात का पता कम ही लोगों को पता है। आज धनतेरस के दिन हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर इस दिन का क्या महत्व है और क्यों इस दिन बर्तन व अन्य खरीदारी की जाती है। आइए जानते हैं धनतेरस से जुड़ी 5 बातें… Dhanteras 2017
क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। Dhanteras 2017
किसान खरीदते हैं धनिये के बीज
कृषि से जुड़े लोग धनतेरस के दिन धनिये के बीज खरीद कर घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को अपने बाग-बगीचों व खेतों में बोते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घरों में धन—धान्य की कमी नहीं होती। Dhanteras 2017
सिक्के चन्द्रमा का प्रतीक
धनतेरस के दिन चांदी और सोना खरीदने की भी परम्परा है। इस दिन बाजारों में जमकर सोने व चांदी के सिक्के खरीदे जाते हैं। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि सिक्के चन्द्रमा का प्रतीक हैं जो शीतलता प्रदान करता है। इससे मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। कहा जाता है कि जिसके पास संतोष है, वह स्वस्थ, सुखी और सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि चिकित्सा के देवता भी हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए भी इस दिन नए बर्तनों की खरीददारी खासतौर पर की जाती है। Dhanteras 2017
संतोष से बड़ा नहीं कोई धन Dhanteras 2017
संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। इसी बात को सर्वोपरी मानकर लोग धनतेरस के दिन चांदी के लक्ष्मी—गणेशजी की मूर्तियां खरीदते हैं और दीपावली के दिन उसकी पूजा करते हैं। जरूरी नहीं है कि मूर्तियां सोने—चांदी की हों, मिट्टी की मूर्तियां खरीदकर भी इस त्यौहार को मनाया जा सकता है। Dhanteras 2017
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धनतेरस पर खरीददारी के शुभ मुहूर्त
- सुबह 9:17 से 10:40 तक
- सुबह 10:40 से 12:10 तक
- दोपहर 12:10 से 1:25 तक
- शाम 7:20 से 8:45 तक
धनतेरस पूजा विधि और सामाग्री
सबसे पहले नहाकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएं। इस धन धन्वन्तरि देवता के साथ मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। उसके बाद भगवान धन्वन्तरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें –
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं, अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
इसके पश्चात पूजन स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़े भगवान धन्वन्तरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं, चांदी के पात्र में खीर का नैवैद्य लगाएं। (अगर चांदी का पात्र उपलब्ध न हो तो अन्य पात्र में भी नैवेद्य लगा सकते हैं। उसके बाद पुन: आचमन के लिए जल छोड़े, मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वन्तरि को अर्पित करें और सबके मंगल और रोग मुक्त भविष्य और समस्त जगत के कल्याण की कामना करें।