जल स्वावलंबन अभियान से खत्म हुई दूसरे प्रदेशों पर आत्मनिर्भता, राजस्थान हुआ अब जलसंपन्न राज्य

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राजस्थान देश का सबसे विकट परिस्थितियों वाला प्रदेश हैं यहां गर्मियों में भयंकर 50 डिग्री तापमान में लोहे को पिघला देने वाली गर्मी पड़ती हैं तो सर्दियों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी। ऐसे में राजस्थान का विकास कर पाना किसी भी सरकार के लिए बेहद मुश्किल सिद्ध होता हैं। राजस्थान में अक्सर किसानों और दूर-दराज के गांव-कस्बों में रहने वाले लोगों को पेयजल की समस्या से जूझते हुए देखा जा सकता हैं लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान को आत्मसंबल प्रदान किया हैं। मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश में पानी कि किल्लत को दूर करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जिससे राजस्थान के पानी से ही प्रदेशवासियों की प्यास बुझ सके। मुख्यमंत्री राजे ने खुद की देख-रेख में महत्वकांक्षी जल स्वावलंबन अभियान शुरू किया। इस अभियान से प्रदेश जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ हैं। जहा पिछले 3 साल पहले तक प्रदेश के 25 जोन को छोड़कर सभी जोन सुखा ग्रस्त थे वही जल स्वावलंबन अभियान के बाद 50 जोन ऐसे है जो जलसंपन्न हो गये हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मई 2016 तक 3421 गांवों में प्रतिदिन 1552 पानी के टैंकरों से जल सप्लाई की जाती थी जो जल स्वावलंबन अभियान के बाद मई 2017 में मात्र 674 से भी कम हो गई हैं। यह आंकड़ा साफ जाहिर करता हैं कि पानी के लिए यह अभियान प्रदेश के लिए वरदान साबित हुआ हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस अभियान से राजस्थान को किसी भी पड़ोसी राज्य के सामने पानी के लिए हाथ नही फैलाने पड़ते। जहा दो साल पहले तक प्रदेश के गांवों की स्थिती पानी की समस्या के चलते पलायन की हो जाती थी वहीं आज वो गांव खुशहाली के साथ बारिश के पानी का भरपूर इस्तेमाल कर आजिविका चला रहे है। मुख्यमंत्री राजे के इन प्रयासों को देश-विदेश में सराहा गया व कई राज्यों ने प्रदेश के इस अभियान को अपनाया हैं।

आंकड़ो पर एक नज़र

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से वास्तविकता में राजस्थान को आत्मनिर्भरता तो मिली ही है साथ ही प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को बड़े स्तर पर राहत मिली हैं। आज जो गांव पानी की कमी से पलायन कर रहे थे वे फिर से आबाद हो गये हैं। आज एक बार फिर उन गांवों को जिंदगी मिली हैं। लोगों को पीने का पानी मिला है और खेतों को सिंचाई के लिए। आंकड़ों पर नज़र डाले तो ग्रामीण जलदाय विभाग जहां अप्रैल 2016 में 577 गांवों में 1991 पानी के टैंकरों से जल आपूर्ति करता था वही मई महीने में यह आंकड़ा करीब 6 गुना बढ़ जाता था। मई 2016 के आते आते ग्रामीण जलदाय विभाग 3025 गांवों में 5450 टैंकरों के द्वारा जल आपूर्ति करता था। यह आकंड़ा मात्र दो माह का प्रदेश के सभी जिलों का है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि प्रदेश में गर्मी की प्रचंड़ता कितनी भयानक होती थी। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन के बाद इस आंकडे में एक सकारात्मक सूधार आया हैं। अप्रैल 2017 में 2016 की तुलना में गांवों की संख्या में भी कमी आई तो पानी के टैंकरों में भी। 2017 अप्रैल में मात्र 225 गांवों में 585 टैंकरों से जलदाय विभाग ने जल आपूर्ति की है। इसके अलावा मई माह में भी जलदाय विभाग ने 853 गांवों में1421 टैंकरों से जल सप्लाई की हैं। अब इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि राजस्थान जल क्षेत्र में कितना आत्मनिर्भर हुआ हैं। यह आंकड़े ग्रामीण जलदाय विभाग द्वारा प्राप्त करवाएं गए हैं।

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के बाद की स्थिती

राजस्थान के गांवों में पानी कि किल्लत को देखने के बाद मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश में जल संग्रहण के लिए एक अभियान चलाया। इस अभियान से प्रदेश में बरसाती पानी का संग्रहण किया गया। इसके लिए मुख्यमंत्री राजे ने प्रदेश के भामाशाहों को आगे आने के लिए कहा। मुख्यमंत्री राजे के आह्वान प्रदेश के कई लोगों ने इस अभियान में सहयोग दिया। अभियान के तहत प्रदेश के जल स्त्रोतों को फिर से साफ किया गया, बावड़ियों, तालाबो, कुओं, नहरों को पुनर्जीवित किया गया ताकि बरसाती पानी को सहेज कर रखा जा सकें। आकंड़ों के मुताबिक राजस्थान के 33 जिलों के 3421 गांवों में जल स्वावलंबन अभियान के पहले चरण के तहत 93801 कार्यों को पूरा करवाया गया। इन जिलों में सबसे ज्यादा उदयपुर जिले के 243 गांवों के 9699 कार्यों को करवाया गया। इसके अलावा अजमेर, बाडमेर, सीकर, नागौर, जोधपुर, डुंगरपुर, झुंझुनू, कोटा में सबसे ज्यादा कार्य करवाए गये और जल संग्रहण करवाया गया। जहां पहले इन 33 जिलों के 3421 गांवों में मई 2016 तक 1552 पानी के टैंकरों से जल सप्लाई होती थी वहीं आज यह संख्या आधी से भी कम 674 रह गई हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि राज्य सरकार के इस अभियान से प्रदेशवासियों को कितनी राहत मिली हैं। यह आंकडे जल स्वावलंबन अभियान के पहले चरण के ही हैं। इसके बाद मुख्यमंभी राजे ने जल स्वावलंबन अभियान का दूसरा चरण भी शुरू कर दिया हैं जिसके प्रस्तावित सभी काम 30 जून से पहले करने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

जल स्वावलंबन अभियान के दूसरे चरण में भी सफलता की उम्मीद

9 दिसम्बर 2016 से शुरू हुए दूसरे चरण में 4 हज़ार 200 नए गांवों का चयन किया गया है। इस चरण में 66 शहरों को भी अभियान में शामिल किया गया है। शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहडों आदि की मरम्मत का कार्य किया जायेगा। इस चरण में 2100 करोड़ रुपये की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाए जाएंगे। इस अभियान के तहत आगामी तीन वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को लाभान्वित कर जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है। अब राजे सरकार शहरों में जल संग्रहण के लिए पूरानी बावड़ियों, तालाबों, जोहड़ों और चवदकों आदि का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इसके अलावा शहरों में रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।

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