अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवावरण अधिनियम (एससी-एसटी एक्ट) को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों का भारत बंद हिंसा में बदल गया। आंदोलनकारियों ने उपद्रवियों की तरह बर्ताव करते हुए वाहन फूंक दिए, तोड़फोड की जिसमें देशभर में कई जाने गईं। Congress supports Miscreants
देश के 12 राज्यों में हिंसा का तांड़व हुआ। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि नेशनल कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई कांग्रेसियों ने न केवल इस हिंसा का समर्थन किया, साथ ही इसे सियासी अमलीजामा पहनाने का प्रयास भी किया। Congress supports Miscreants
आखिर कांग्रेस इन उपद्रवियों का साथ क्यूं दे रही है … Congress supports Miscreants
इसकी वजह चुनावी घमासान से जुड़ी हुई है। असल में देश में 17 फीसदी वोट अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी-एसटी) के हैं। देखा जाए तो इनकी आबादी 20 करोड़ के करीब है। लोकसभा में इस वर्ग के 131 सांसद देश में सत्ता संभाले हुए हैं। आगामी महीनों में कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
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अगले महीने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव है जहां 18 प्रतिशत वोट दलित वर्ग के हैं और 60 सीटों पर उनका प्रभाव है। राजस्थान में भी कई जिले एससी, एसटी बाहुल्य वाले हैं। अगले साल देश में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में कांग्रेस इन्हें समर्थन देकर केवल चुनावी बखेड़ा खड़ा करने की तैयारी कर रही है। Congress supports Miscreants
जैसा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बातों से साफ तौर पर झलकता है, ‘दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना RSS/BJP के DNA में है। जो इस सोच को चुनौती देता है, उसे वे हिंसा से दबाते हैं। हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं। हम उनको सलाम करते हैं।’ Congress supports Miscreants
शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग का अधिकार संविधान सभी को देता है लेकिन उपद्रवियों की तरह जनता की और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का हक तो केवल विपक्ष ही दे सकता है। यही वजह है कि हिंसा के दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के लिए भाजपा की केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। Congress supports Miscreants
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ स्थित पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में तैनात दलित अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) डॉ. बीपी अशोक ने इस मसले पर अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया है।