आखिर किस करवट बैठेगा राजस्थान कांग्रेस का ऊंट, पुराने चेहरों पर दिखाया विश्वास, खेला विधानसभा चुनाव का दांव

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राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस ने तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस के हालात को देखते हुए एआईसीसी ने राजस्थान कांग्रेस को स्थायित्व देने का एक प्रयत्न किया हैं। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर से 2008 के चुनाव की रणनीतिकारों को जिम्मेदारी सौंपी है। मतलब साफ हैं कि कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने पुराने चेहरों पर ही विश्वास जताया है और नए चेहरों के सहयोग के लिए उन्हे राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस ने गुरूवार को 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रणनीतिकार रहे अविनाश पांडे को प्रभारी महासचिव का पद सौंपा है। पांडे अब राजस्थान में गुरदास कामत की जगह लेंगे। इसके साथ ही विवेक बंसल को एक बार फिर से सचिव पद की जिम्मेदारी दी है। गौरतलब है कि पांडे सीपी जोशी के खास दोस्तों में से एक है।

मुख्यमंत्री राजे के सामने कमजोर हैं कांग्रेस का नेतृत्व

कांग्रेस का नेतृत्व हमेशा से ही प्रदेश में कमजोर रहा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने कांग्रेस ने 2013 के चुनाव फिर लोकसभा चुनाव और अब धौलपुर में हुए विधानसभा चुनाव में घुटने टेकने पर मजबूर हो गई थी। कांग्रेस ने कामत, गहलोत और पायलट को मजबूत नेता के तौर पर जाना जाता हैं लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने इन नेताओं को अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा। 2013 के विस चुनवा के बाद से राजस्थान में कांग्रेस अस्थायित्व के दौर से गुजर रही हैं ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने अनजान चेहरों को प्रदेश की कमान सौप अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है।

यहां भी किए कांग्रेस ने परिवपर्तन

नए पारूप में बडे राज्यों में प्रदेश प्रभारी के साथ चार सचिव लगाए गए है। बंसल के साथ दिल्ली के देवेंद्र यादव, तरूण कुमार और उत्तराखंड के काजी मोहम्मद को भी सचिव पद पर लगाया गया है। इसी तरह राजस्थान को चार भागों में बांट कर सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले सचिव रहे इरशाद बेग को हटा दिया गया है। कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपने पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है। राजस्थान में 2008 में पांडे चुनाव रणनीतिकार थे तो बंसल सचिव के रुप में जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पार्टी ने उस समय जीत हासिल की थी और अशोक गहलोत फिर से मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन इस बार गहलोत को राजस्थान से वनवास दे दिया गया है। अब देखते हैं कांग्रेस ने जो यह पांडे नाम का हनुमान सरीखा भक्त किसके लिए नियुक्त किया है।

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