राजस्थान में टिकट वितरण के साथ ही चुनावी सरगर्मिया बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में गड़बड़ी के कारण कांग्रेस को अपने ही कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं की पसंद को तरजीह न मिलने के कारण कांग्रेस के कई नाराज नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इनके साथ ही इनके हजारों की संख्या में समर्थकों ने भी ‘कमल’ को अपना लिया है। Congress in fear
प्रदेश में कांग्रेस के टिकट वितरण में पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान के चलते पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। टिकट कटने से कांग्रेस के कई नेता बगावत पर उतर आए है। इसका खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं के विरोध का कारण कई केन्द्रीय स्तर के नेता भी बने हैं। Congress in fear
दरअसल, केन्द्र में पार्टी के प्रदर्शन की अनिश्चितता के चलते राज्य विधानसभा चुनाव में दो सांसद और कम से कम आधा दर्जन पूर्व सांसद चुनाव मैदान में उतर गए हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में जारी कांग्रेस के 151 उम्मीदवारों की पहली सूची में पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों और कई दिग्गज नेताओं के नाम हैं। लोकसभा चुनाव में जीत के प्रति अनिश्चित इन नेताओं ने राज्य की राजनीति में लौटने का फैसला किया है। चुनाव मैदान में उतरे दो सांसदों में से हरीश मीणा कुछ ही दिन पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। Congress in fear
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अजमेर सांसद रघु शर्मा भी केकड़ी विधानसभा सीट से मैदान में
अजमेर से सांसद रघु शर्मा ने उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा को बड़े अंतर से हराया था। बीजेपी सांसद प्रो. सांवरलाल जाट के निधन के कारण यह सीट खाली हुई थी। भाजपा ने उपचुनाव में जाट के पुत्र रामस्वरूप को रघु शर्मा के सामने अपना उम्मीदवार बनाया था। रघु शर्मा ने केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से पर्चा भरा है। केकड़ी संसदीय क्षेत्र अजमेर के अंतर्गत ही आता है। शर्मा के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने पर यह ख़बरें आ रही है कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। इससे पता चलता है कि सांसद शर्मा 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी हार पहले ही मान चुके हैं। वे हार के डर से आम चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं।
पायलट के अलावा सीपी जोशी, गहलोत और गिरिजा जैसे पूर्व केन्द्रीय मंत्री रण में उतरे Congress in fear
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ ही सीपी जोशी, अशोक गहलोत और गिरिजा व्यास जैसे पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजस्थान के चुनावी महायुद्ध में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। सीएम पद के आकांक्षी सचिन पायलट 2014 के लोकसभा चुनाव में अजमेर से हार गए थे। बाद में उन्होंने इस सीट पर हुए उपचुनाव में भी भाग नहीं लिया अब वे टोंक से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पायलट पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेगे।
पूर्व पत्रकार नारायण बारेठ कहते हैं, इसका एक बड़ा कारण यह है कि कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि राज्य में उन्हें आसानी से जीत मिल जाएगी, जबकि वे केन्द्र में अपनी संभावनाओं को लेकर संदिग्ध स्थिति में हैं। कांग्रेस उम्मीदवार राज्य में लोकप्रिय भावनाओं का लाभ उठाना चाहते हैं और मंत्री बनना चाहते हैं।
नाथद्वारा विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी का कहना है कि लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद भाजपा ने भी राज्य चुनाव में सांसदों को उतारा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के महत्व को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अपना सर्वश्रेष्ठ कदम उठाया है। कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला करने वाले अन्य पूर्व सांसदों में नरेन्द्र बुडानी, लालचंद कटारिया, खिलाड़ी लाल बैरवा और हरीश चौधरी का नाम शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, लालचंद कटारिया को पार्टी ने कथित तौर पर अगले साल जयपुर ग्रामीण से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने पर जोर दिया। इसके बाद पार्टी ने उन्हें जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट से टिकट दिया है। कटारिया के सामने बीजेपी के राजपाल सिंह शेखावत मैदान में उतरे हैं।