राजस्थान में रिफाइनरी का सच हुआ सपना, राजे सरकार और HPCL के बीच हुए समझौते का गवाह बना जयपुर

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Barmer Oil Refinery Project Rajasthan

राजस्थान के बाड़मेर जिले में पचपदरा में स्थापित होने वाली पेट्रोलियम रिफाइनरी के लिए मंगलवार को वसुंधरा सरकार और एचपीसीएल के बीच नई शर्तों के आधार पर एमओयू हुआ। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की मौजूदगी में ये एमओयू हुआ। रिफाइनरी की स्थापना पर एचपीसीएल और प्रदेश सरकार मिलकर 43 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेंगी।

37 हजार में किया था गहलोत सरकार ने घाटे का सौदा

पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त हुए एमओयू के दौरान इस रिफाइनरी की कीमत तकरीबन 37 हजार करोड़ रुपए आ रही थी। नौ एमएमटीपीएल की इस रिफाइनरी सह पेट्रोकैमिकल संकुल लगाने के लिए बाड़मेर में स्थापित होने में लगभग डेढ़ साल का समय लगने की उम्मीद है। जिसमें पश्चिमी राजस्थान के गर्भ से निकलने वाले क्रूड ऑयल को रिफाइन करने का काम यहीं किया जा सकेगा।

सरकार को 40 हजार करोड़ कम देने पड़ेंगे

पूर्व गहलोत सरकार के वक्त एचपीसीएल के साथ हुए एमओयू की शर्तों के मुताबिक प्रदेश की सरकार ने प्रोजेक्ट को वायबल बनाने के लिए कंपनी को पन्द्रह साल तक सालाना 3637 करोड़ रुपए बिना ब्याज के देने का समझौता किया था। इस तरह पन्द्रह साल में कुल 56 हजार 40 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार की ओर से दिए जाने थे। लेकिन सीएम वसुन्धरा राजे ने गत चुनावों में इसे घाटे का सौदा करार दिया था।

पुरानी शर्तो को रद्द कर सरकार ने करवाई समीक्षा

सरकार बनते ही एमओयू की समीक्षा करते  हुए पुरानी शर्तों को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद दो एजेंसियों से रिफाइनरी समझौते को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई और कंपनी से फिर से इसे लगाने को लेकर मोलभाव किया गया। अब कंपनी को सरकार ने 15 सालों तक सालाना 3637 की जगह 1123 करोड़ रुपए के हिसाब से 16845 करोड़ रुपए देना तय किया है। इस तरह सरकार को बिना ब्याज के करीब 40 हजार करोड़ रुपए कम देने पड़ेंगे। वहीं सरकारी की भागीदारी के तहत खर्च होने वाले 100 करोड़ रुपए भी कम देने पड़ेंगे। रिफाइनरी की स्थापना के लिए चिन्हित 3500 एकड़ जमीन सरकार की ओर से मुहैया कराई जाएगी। वहीं इंदिरा गांधी कैनाल में 28 एमजीडी पानी की निरंतर सप्लाई भी की जाएगी। कई करों में भी राहत की घोषणा एमओयू के दौरान हो सकती है।

गेल और आरएसजीएल में भी होगा समझौता

इसी दौरान राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड और गेल के बीच भी बिजनेस ट्रांसफर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुआ। यह समझौता गैस के वितरण को लेकर होने जा रहा है। इसके तहत प्रमुख शहरों में सीएनजी कॉरिडोर खुल सकेंगे। खुदरा गैस संरचना आसानी से इस समझौते के बाद उपलब्ध हो सकेगी। कोटा में गेल की बिछाई पाइपलाइन के माध्यम से होटल्स, उद्योगों को स्वच्छ और कम लागत पर गैस मिल सकेगी।

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