चित्तौड़गढ़ जिले के एक सरकारी विद्यालय के विकास की अनूठी है कहानी, ऐसी पहल हर गांव-शहर में हो जाए तो..

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School Development

राजस्थान सरकार ने विगत पांच सालों में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कदम उठाए हैं। 2013 में जब राजे सरकार बनी तो राज्य स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में 26वें नंबर पर था और आज सरकार व प्रदेश के लोगों के लगातार प्रयासों से देश में राजस्थान दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में एक साथ पांच हजार स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया है और अब दस हजार से ज्यादा स्कूलों को क्रमोन्नत करने की सरकार की योजना है। खासतौर पर सरकार ‘बेटियों को पढ़ाने पर खूब जोर दे रही है। या यूं कहें सरकार बालिका शिक्षा के लिए कृतसंकल्प नज़र आ रही है। School Development

‘ पिछले पांच सालों में राजस्थान का स्कूली शिक्षा में दूसरे स्थान पर पहुंचना यह साबित करता है कि वर्तमान सरकार ने सरकारी स्कूलों में हर क्षेत्र में जमकर सुधार किए हैं। सरकार के साथ ही प्रदेश के लोग भी नई पहल करते हुए स्कूलों के विकास में सहयोग करने लगे हैं। अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार का फर्ज है, लेकिन इस फर्ज में आमजन भी किसी तरह से थोड़ा भागीदार हो जाए तो सरकारी स्कूल बड़े से बड़े निजी स्कूलों की तुलना में कहीं भी कमतर नज़र नहीं आएंगे। School Development

आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे सरकारी विद्यालय की कहानी बताने जा रहे हैं, जहां स्थानीय लोगों की पहल से स्कूल विकास की राह में नई इबारत लिख रहा है। कहानी जानकर आप भी कहेंगे कि अगर ऐसा हर सरकारी स्कूल में हो तो सरकारी स्कूल प्राइवेट विद्यालयों की तुलना में बेहतर साबित होंगे। आइये जानते हैं चित्तौड़गढ़ जिले के बड़ी सादड़ी क्षेत्र में स्थित देवदा के सरकारी स्कूल की अनूठी कहानी… School Development

गांव का प्रति परिवार स्कूल के विकास के लिए प्रतिदिन एक रुपया करता है दान School Development

प्रदेश के चित्तौड़गढ़ जिले के बड़ी सादड़ी क्षेत्र में स्थित देवदा गांव के लोगों की एक छोटी सी पहल कारगर साबित हो रही है। बड़ी सादड़ी के देवदा गांव में विद्यालय प्रशासन की पहल पर गांव में कुछ ऐसा देखने को मिल रहा है कि देखकर आप खुद अचंभित रह जाएंगे। विद्यालय प्रबंधन समिति ने गांव के लोगों व बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ भावनात्मक रूप से स्कूल से जोड़ने के लिए जो पहल की है वह वाकई में सराहनीय कदम है। School Development

देवदा में प्रतिदिन गांव का प्रति परिवार स्कूल के विकास के लिए एक रुपया दान करता है। प्रतिदिन एक रुपए के संग्रहण के ​लिए बाकायदा गांव के हर घर पर एक गुल्लक रखवाया गया है। एक रुपया आज के समय में मायने नहीं रखता, यह कहना यहां गलत साबित होता नज़र आता है। बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता वाली कहावत इस स्कूल के विकास के लिए सहायक साबित हो रही है। देवदा गांव में प्रति परिवार हर दिन गुल्लक में एक रुपया दान करता है। महीने के अंत में यह राशि प्रति परिवार के हिसाब से लगभग 30 रुपए का दान हो जाता है। School Development

इसी वर्ष जनवरी, 2018 में ऐसे हुई शुरु हुई पहल.. School Development

बड़ी सादड़ी से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित देवदा गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में करीब चार माह पहले स्कूल विकास समिति की बैठक हुई थीं। इस बैठक में ​स्कूल स्टाफ ने गांव के प्रत्येक परिवार से प्रतिदिन दिन एक रुपया स्कूल के लिए दान करने का प्रस्ताव रखा था जिसे ग्रामीणों ने तुरंत ही मान लिया। इसके आधार पर तय हुआ कि हर घर में गुल्लक के रूप का स्टीकर लगा एक डिब्बा रखा जाएगा। देवदा गांव में करीब 125 घर हैं और सरकारी स्कूल में 170 बच्चे नामांकित हैं और अब तक 100 घरों में डिब्बे रखे जा चुके हैं।

‘इनमें देवदा के ग्रामीण रोज एक रुपया दान करते हैं। जैसे ही महीना खत्म होता है गुल्लक में एकत्र की गई राशि स्कूल विकास समिति के बैंक खाते में जमा करा दी जाती है। यह राशि विद्यालय के विकास में काम ली जाती है। इससे अब तक स्कूल में कई प्रकार की सुविधाओं के साथ ही हरियाली के लिए पेड़ लगाए गए हैं। इसके अलावा रंगरोगन के साथ बच्चों को लुभाने लिए कार्टून के चित्रों भी दीवारों पर बनवाएं गए हैं। जनवरी में शुरू हुई इस अनूठी पहल से देवदा के सरकारी स्कूल की विकास समिति के खाते में अब तक 9,180 रुपए जमा हो चुके हैं।

अनूठी पहल के साथ ही विद्यालय और ग्रामीणों में बन गया है परिवार जैसा रिश्ता School Development

विद्यालय विकास प्रबन्ध समिति की इसके पीछे की मंशा यह है कि देवदा गांव का प्रत्येक परिवार विद्यालय को अपना मानकर उससे भावात्मक रूप से भी जुड़ाव महसूस करे। इससे गांव का हर व्यक्ति अपने बच्चों को नियमित रूप से पढ़ने तो भेजेंगे ही साथ ही उनके मन में यह नहीं रहेगा कि सरकारी स्कूल में निजी स्कूलों की बजाय कम सुविधाएं और पढ़ाई का स्तर कमजोर होता है।

स्कूल स्टाफ द्वारा माह खत्म होते ही प्रत्येक घर से राशि एकत्रित कर गांव के  सरकारी स्कूल के बैंक खाते में जमा करा दी जाती है। इस पहल का गजब का असर देखने को यह भी मिला है कि विद्यालय में अब नामांकनों की संख्या में भी धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है। इस अनूठी पहल की वजह से ही वि़द्यालय और ग्रामीणों में परिवार जैसा रिश्ता कायम हो रहा है। अगर प्रदेश में ऐसे ही सभी सरकारी स्कूलों के विकास में स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त हो जाए तो वो दिन दूर नहीं जब लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने के लिए सोचना तक बंद कर देंगे।

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