
क्या तेज बहादुर सच में गद्दार है?
अभी कुछ दिनों पहले ही बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ले वायरल हुए वीडियो ने इन्टरनेट की दुनिया में तहलका मचा दिया था। इस वीडियो में तेज बहादुर ने सुरक्षा बल के प्रबंधन में धांधली की शिकायत की थी और आर्मी के आला अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगते हुए खराब खाने की स्तिथि भी रिकॉर्ड की थी। इस वीडियो के वायरल होते ही आमजन में आर्मी के भ्रष्ट अफसरों के प्रति आक्रोश पैदा हो गया था। वही बीएसएफ जवान एक बार फिर सुर्ख़ियों में है, परंतु अबकी बार उसकी शिकायत है ‘अफसरों द्वारा किया गया मेंटल टॉर्चर’ जोकि उस वीडियो के सच बाहर आने के बाद शुरू हुआ।
डेक्कन क्रॉनिकल में छपी ख़बर की मानें तो गृह मंत्रालय के सीनियर अधिकारी यादव की अनुशासनहीनता से खफा थे। उनके अनुसार यादव ने एक के बाद एक वीडियो को पोस्ट करके सेना के सर्विस नियमों को तोड़ा है। वहीँ केंद्रीय मंत्रियों द्वारा जांच शुरू करने के बाद भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों के सर पर तलवार लटक रही थी। शायद इसी वजह से तेज बहादुर पर उनके गुस्से की गाज गिरी।
नए वायरल हुए वीडियो में तेज बहादुर हैरान-परेशान और रुआंसे नजर आ रहे हैं। उन्होंने उस वीडियो में कहा कि:
“मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरा दिनांक 10 जनवरी से मोबाइल जमा हो गया था. शायद मेरे मोबाइल अकाउंट से कुछ छेड़खानी की गई जिसमें मेरे पाकिस्तान के कुछ दोस्त बनाए गए. इसलिए आप झूठी अफवाहों पर विश्वास ना करें. जब तक मेरा खुद का कोई वीडियो आपके सामने ना आवे. और मैं आप सबके माध्यम से आदरणीय प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मैंने जो बीएसएफ का खाना दिखाया था वो बिलकुल सत्य था लेकिन उसके बावजूद किसी प्रकार की कोई जांच नहीं हो रही है. और मेरे को भी मेंटली टॉर्चर किया जा रहा है बार बार. क्यों? मैंने सिर्फ ये किया कि आदरणीय प्रधानमंत्री खुद चाहते थे कि देश से भ्रष्टाचार ख़त्म हो. तो मैंने भी यही उम्मीद करके अपने डिपार्टमेंट का भ्रष्टाचार दिखाया था. क्या भ्रष्टाचार दिखाने का मुझे यही न्याय मिला. मैं चाहता हूं कि सभी सवा सौ करोड़ देशवासी आदरणीय प्रधानमंत्री से पूछें कि एक जवान ने भ्रष्टाचार दिखाया तो क्या उसे यही परिणाम मिलता है कि उसे ही टॉर्चर किया जा रहा है बार-बार. मेरा वीआरएस रोक दिया गया. जय हिंद!”
खबर ये है कि तेज बहादुर के फेसबुक अकाउंट में 17% पाकिस्तानी मित्र होने के कारण वे शक के दायरे में थे। अभी फिलहाल ये कह पाना बहुत मुश्किल है कि गलत कौन हैं।
आखिर ऐसा क्या कर दिया था रॉय मैथ्यू ने कि उनको मिली मौत की सजा?
भारतीय सेना में 13 साल गनर रह चुके 33-वर्षीय रॉय मैथ्यू वही जवान है जिसने 24 फरवरी को प्रसारित हुए एक स्टिंग ऑपरेशन में अफसरों की तानाशाही जगजाहिर की थी। उनके द्वारा प्रसारित वीडियो में वे अफसरों के कपड़े प्रेस करते, उनके कुत्तों को टहलाते तथा जूते पॉलिश करते हुए दिखे थे। इस पूरी घटना की देशभर में भर्सत्ना हुई थी जिससे सम्बंधित अधिकारीयों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करके की मांगें उठ रहीं थीं।
उसी जवान की लाश महाराष्ट्र के देवलाली कैन्टोमेंट की एक बैरक में सड़ी-गली अवस्था में प्राप्त हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी मृत्यु लाश मिलने से 3 दिन पहले हो चुकी थी। मारने से पहले 25 फ़रवरी के दिन मृतक ने अपने घर फोन करके अपनी पत्नी फिनी से बोला था कि वे घर आना चाहते हैं क्योंकि उनकी जान को खतरा है परंतु ऐसा होने से पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गयी। वे ये सोच कर परेशान थे कि अफसरों के खिलाफ बोलकर उन्होंने ‘बड़ी गलती’ कर दी है।
अब उनकी मृत्यु के पश्चात उनके घरवालों ने आर्मी अफसरों को घेरते हुए उनकी मृत्यु कि जांच की मांग शुरू कर दी।
कटु सत्य ये है कि देश के नाम पर मर मिटने वाले जवानों को अक्सर ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कभी अफसर तो कभी सरकार कि उदासीनता से क्षुब्ध ये जवान आखिर कब तक ऐसा जीवन जीते रहेंगे? वहीँ दूसरी ओर कुछ ऐसे भी जवान हैं जो देश से गद्दारी करते हुए सेना कि संवेदनशील जानकारी दुश्मनों तक पहुंचा कर देश हित के खिलाफ काम करते हैं। आखिर सरकार इनसे कैसे निपटेगी?