हार का भाजपा कर रही सूक्ष्म विश्लेषण: बदलाव के आसार 

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    भाजपा

    राजस्थान उपचुनावों में भाजपा की करारी हार के बाद पार्टी चुनावी ​परिणामों का सूक्ष्म विश्लेषण कर रही है। भाजपा अब उपचुनावों नतीजों का सूक्ष्म स्तर पर विश्लेषण कर और कमियों को दूर करके जनता का फिर से विश्वास हासिल करने की कोशिश में लगी हुई है। चूंकि राजस्थान उपचुनावों को आगामी विधानसभा ​चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है, ऐसे में चुनाव परिणामों को देखते हुए राजस्थान सरकार के फैसलों और काम करने के तरीकों में बदलाव देखे जाने की संभावना जताई जा रही है। इन बदलावों में सबसे पहले कुछ नए चेहरे आगामी चुनावों में उतारे जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। ऐसे नए चेहरे जो न केवल उसी क्षेत्र से जुड़े हों, साथ ही जनता पर प्रभावी छवि भी रखते हों।

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    यह गलती सरकार अजमेर चुनावों में कर चुकी है। यहां सांवरलाल जाट एक प्रभावी और प्रमुख जाट नेता रह चुके हैं जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनावों में वर्तमान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलेट को हराया था। सांवरलाल जाट के निधन के बाद भाजपा ने उनके पुत्र रामस्वरूप लांबा को पार्टी प्रत्याशी बनाया था जिसे राजनीति का अनुभव न के बराबर था। इसी का नतीजा है कि अजमेर में लांबा को शिकस्त झेलनी पड़ी। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा को जानी पहचानी छवि होने का फायदा मिला।

    अलवर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी जसवंत यादव को कार्यकर्ताओं की आंतरिक कलह का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अलवर के किसी नेता को टिकट देने के बजाय हरियाणा के कथित संत महंत चांदनाथ को प्रत्याशी बनाया था।  यहां के लोगों ने महंत को जिताकर लोकसभा भेजा, लेकिन वे कभी अलवर लौटकर नहीं आए। इसके विपरित कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह यादव स्थानीय नेता हैं जिसका परिणाम उन्हें जीत के साथ मिला। यही कहानी मांडलगढ़ में भी हुई जहां पार्टी जनता की नस पहचान नहीं पाई और कांग्रेस से हार बैठी।

    अब विधानसभा चुनावों का समय निकट है। ऐसे में पार्टी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। पार्टी लगातार परिणामों पर मंथन कर रही है और जनता की नाराजगी की वजह को तलाश रही है। संभावना यही जताई जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनावों में लोकप्रियता को प्रमुखता न देते हुए स्थानीय नेता को वरियता दी जा सकती है। कुछ नेताओं के हाथों से कार्यभार संभाल दूसरे नेताओं को दिए जा सकते हैं जो जन चेहरा बन सकें।

     

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