राजस्थान की राजनीति में हलचल मचाने और राजनीतिक रसूखदारों को सलाखों को हवा खिलाने के मामले में बहुचर्चित भंवरीदेवी हत्याकांड किसी से छूपा नही है। पुलिस मामले के पांच साल बाद भी हत्यारों के पिछे है और आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी है। हाल ही में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है जब मध्यप्रदेश के देवास के हत्याकांड की कर्ता-धर्ता इंदिरा विश्नोई को गिरफ्तार किया गया। इंदिरा विश्नोई कभी भंवरी देवी को भाभी कहती थी क्योंकि उसके भाई और कांग्रेस नेता मलखान सिंह से भंवरी देवी के नजदीकी संबंध थे। मलखान सिंह भंवरी देवी हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से एक है और इन दिया अजमेर जेल में बंद है। जेल में बंद होने के बावजूद भी मलखान सिंह के चेहरे पर सिकन तक नही है और जेल प्रशासन द्वारा उसे वीवीआई ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।
रसूखदारों के बीच मलखान बने मलखानजी
आरोपित मलखान सिंह का अजमेर सेन्ट्रल जेल में जबरदस्त रुतबा है। मलखान बनकर जेल में आए पूर्व विधायक अब जेल प्रशासन समेत कैदियों के बीच ‘मलखानजी के नाम से जाने जाते है। बीते पांच साल से अजमेर सेन्ट्रल जेल में होने वाली हर गतिविधि में मलखान सिंह बंदियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं। जेल के वार्ड 12 की बैरक नम्बर 1 में पूर्व विधायक मलखान सिंह की दिनचर्या सामान्य बंदियों की तरह शुरुआत होती है। यूं तो जेल का 12 नम्बर वार्ड वीआईपी वार्ड कहा जाता है। यहां भंवर सिनोदिया हत्याकांड के मुख्य आरोपित बलवाराम जाट समेत कई रसूखदार बंदियों को रखा गया है।
यहां मलखान विश्नोई को मिलता है वीवीआईपी ट्रीटमेंट
मलखान को जेल में वीवीआईपी सुविधाएं मिली हुई है। वार्ड 12 के बैरक नम्बर एक में मलखान को एक कोठररी आवंटित है। कोठरी में गद्दे सहित तमाम अन्य सुविधाएं उपलब्ध है। कोर्ट के आदेश पर मलखान के लिए खाना जेल के बाहर से आता है। यह खाना अजमेर में रहने वाले किसी नजदीकी रिश्तेदार के यहां से आने की बात सामने आई है। अजमेर सेन्ट्रल जेल में रहते हुए मलखान सिंह कोर्ट विशेष से पैरोल पा भी पा चुके हैं। पारिवारिक दुखांतिका के वक्त भी सशस्त्र गार्ड के साथ जोधपुर भेजा गया था। यहीं नहीं साल 2014-15 में मलखानसिंह जोधपुर के एक निजी अस्पताल में यूरोलॉजी का उपचार करवा चुके हैं।
कोई मिलने नही आता, अखबार भी पूरा दिया जाता है
मलखान सिंह से जेल में यदाकदा ही कोई मिलने आता है। जेल सूत्रों के मुताबिक अदालत की तारीख पेशी के चलते मलखान से अजमेर कोई नहीं मिलने आता है। तारीख पेशी के लिए जोधपुर जाने पर ही परिजन से उनकी मुलाकात हो जाती है। यूं मलखान ने जेल में एसटीडी सुविधा के लिए दो मोबाइल नम्बर दे रखे हैं लेकिन एसटीडी का इस्तेमाल न के बराबर है। जेल में जहां बंदियों को काट-छांट किया हुआ अखबार उपलब्ध जेल में मलखान बने कैदियों के नेताजी, रईसों जैसे हैं इनके ठाठकरवाया जाता है, वहीं मलखान सिंह को पढऩे के लिए बगैर कांट छांट के अखबार दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि जेल में बंदियों को अपराध से जुड़ी खबरों को हटाकर ही उपलब्ध करवाया जाता है।