देश में आज ऑनलाइन पेमेंट या डिजिटल पेमेंट का दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के इस विज़न से देश के लाखों लोगों को प्रत्याक्ष रुप से लाभ मिल रहा है। यह बात 2015 से शुरु हुई लेकिन राजस्थान में डिजिटल क्रांति सन 2008 में यानी की आज से करीब आठ साल पहले की आ गई थी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने भामाशाह योजना की शुरुआत की थी। राजस्थान की भामाशाह योजना वर्तमान आधार कार्ड के जैसी ही थी लेकिन सत्ता बदलने से तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना को बंद कर दिया था। आज फिर से राजस्थान में भामाशाह योजना से महिलाओं को एक महिला मुख्यमंत्री ने सम्मान का जीवन दिया है। भामाशाह कार्ड का मतलब परिवार के सारे हक एक महिला को। राजस्थान की मुख्यमंत्री राजे ने देश में डिजिटल क्रांति के साथ ही राजस्थान में भी डिजिटल क्रांति के रूप में भामाशाह कार्ड को लागू किया और आज प्रदेश की लाखों महिलाओं को इस योजना का डिजिटल लाभ मिल रहा है।
हाथ में पैसे आने से महिलाओं को मिला सम्मान
राजस्थान देश के उन राज्यों में से एक है, जिसने सारी समाज कल्याण योजनाओं की डिलीवरी ऑनलाइन करने की पहल की है। इसका जरिया है आधार या राजस्थान का अपना भामाशाह कार्ड, जिसके तहत वृद्धा पेंशन, मनरेगा का भुगतान , राशन, छात्रवृत्ति समेत 163 समाज कल्याण की योजनाओं के तहत भुगतान सीधा लाभार्थी को पहुंचाया जा सकता है। एक single window delivery system के तहत ऑनलाइन ट्रांसफर के कई फायदे हैं। गरीबों तक पहुंचने वाली कल्याणकारी योजनाओं से बिचौलियों को हटाना, लेकिन साथ ही अपने पैसे अपने हाथ में पाकर गांव की गरीब अनपढ़ महिलाओं को एक आत्मा सम्मान का अहसास होने लगा है।
70 साल की शांति देवी को अब नही फैलाने पड़ते हाथ
राजस्थान में लाखों महिलाओं को भामाशाह कार्ड( बैंक खाता महिला मुखिया के नाम) मिलने से खुशी से चेहरे खिल गये हो। पहले जहां यहा की औरते घर के चुल्हे चौके में व्यस्त रहती थी वो अब बाजार जाती है और घर की सारी जिम्मेदारी खुद सम्भालती है। मुख्यमंत्री राजे ने राजस्थान की औरतों को भामाशाह योजना से आत्मनिर्भरता का जीवन दिया है। ऐसी ही राजस्थान की एक 70 साल की शांति देवी, जिनका गुज़ारा मनरेगा की मज़दूरी और हर महीने आने वाली वृद्धा पेंशन से होता है। पति के अपाहिज होने के बाद कोई सहारा नही बचा था। कमाई का जरिया नही होने के कारण शांति देवी मनरेगा में मजदूरी करती है और वृद्धावस्था पेंशन के गुजारा चलता है। भामाशाह कार्ड बनने से शांति देवी का बैंक खाता खुला और आज मनरेगा की मजदूरी और पेंशन दोनो सम्मान के साथ खाते में आते है।
जननी सुरक्षा के रुपए भी अब जनाना के खाते में सीधे, बिचोलियों का काम खत्म
आधार से महिलाओं को जोड़ कर सरकार महिला और शिशु स्वास्थ्य को लेकर भी सकारात्मक क़दम उठा सकती है। गांव के प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में हर महिला को जननी सुरक्षा के तहत 1400 रुपये मिलते हैं, लेकिन इसके लिए इस स्वास्थ्य केंद्र पर 48 घंटे मां और शिशु को प्रसव के बाद रुकना ज़रूरी होता है। इन 48 घंटों में मां और शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक होती है। मां और बच्चे को अस्पताल में रोक कर डॉक्टर्स चाहते हैं कि महिला शिशु मृत्यु दर पर काबू पाया जाए।
48घंटे में मिलता है लाभार्थी को पैसा
भामाशाह कार्ड और आधार कार्ड बनने से अब सरकार और लाभार्थी को चिंता करने की आवश्यकता नही है कि वो 48 घंटे अस्पताल में रुके। अब मरीज को कहीं जाने की जरूरत नही होती, जैसे ही अस्पताल छोड़ते है वैसे की उनका पैसा उनके खाते में ट्रांसफर हो जाता है। इससे ना तो चेक देना पड़ता ना ही कैश। बिचोलियों का काम ही खत्म हो गया। आधार से जुड़ने की वजह से समाज कल्याण की योजनाएं सही लाभार्थियों तक पहुंचा रही हैं।
Comment:Sbi का लोन माफ कर दो वसुनधरा राजे पुरा लोन तो आप जीत जाओगे 2019 का चुनाव