जब वाजपेयी ने भी वसुंधरा राजे की नेतृत्व क्षमता का माना था लोहा

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    Atal Bihari Vajpayee
    मृत्यु बीते 66 दिनों से नि:शब्द होकर अटल जी के पास खड़ी होकर मौन भाव से उन्हें निहार रही थी, लेकिन आज मृत्यु ने उन्हें अपने आगोश में ले ही लिया। जैसे ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर आईं, देशभर में शोक की लहर छा गई। Atal Bihari Vajpayee
    अटल बिहारी वाजपेयी का न केवल राजस्थान से बल्कि, मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी गहरा नाता रहा है। खुद सीएम राजे ने अपने कई साक्षात्कार में इस बात को माना है कि अटल जी का उनके राजनीतिक जीवन में काफी अहम योगदान रहा हैं। वे उनके लिए एक अच्छे मार्गदर्शक ही नहीं, अपितु पिता तुल्य थे। Atal Bihari Vajpayee
    Atal Bihari Vajpayee
    Atal Bihari Vajpayee

     

    सीएम वसुंधरा राजे की कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-1999 में अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया। अक्टूबर 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद वसुंधरा राजे को राजस्थान में भाजपा राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। Atal Bihari Vajpayee

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    वाजपेयी को वसुंधरा राजे की नेतृत्व क्षमता पर पूर्ण भरोसा था। यही कारण था कि 2003 के विधानसभा चुनाव से पूर्व राजे को सीएम का चेहरा बनाने के लिए अटल बिहारी ने ही हामी भरी थी। वसुंधरा राजे ने भी वाजपेयी की बातों पर खरा उतरते हुए राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। Atal Bihari Vajpayee
    अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सीएम वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा—’पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। यह मेरे लिए व्यक्तिगत दुख की घड़ी है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना संभव नहीं है। अटल जी मेरे लिए पिता तुल्य थे, मार्गदर्शक थे। मुझे उनका सान्निध्य मिला, ये मेरा सौभाग्य है।’
    साथ ही उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता भी पोस्ट की। Atal Bihari Vajpayee
    मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
    ज़िंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं,
    मैं जी भर जिया, मैं मन से मरुँ,
    लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
    मृत्यु अटल है, सत्य अटल है ! लेकिन राजनीति के ‘भीष्म पितामाह’ के लिए अगर एक लाइन में कुछ कहा जाए तो बस यही—
    न भूतो, न भविष्यति। Atal Bihari Vajpayee

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