जैसलमेर में है एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, एक बार में बैठ सकते हैं 5 हजार से ज्यादा लोग

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    जयपुर। थार का नाम आता है, तो दिमाग में रेगिस्तान व रेत के टीलों का दृश्य बनने लगता है। लेकिन किसी ने सोचा होगा कि इन रेतीले धोरों के बीच एक ऐसी भी जगह है, जहां ज्ञान का अथाह भंडार भरा पड़ा है। मरुप्रदेश के तपते रेतीले धोरों के बीच भारत-पाक सीमा पर स्थित सरहदी जिला जैसलमेर वैसे तो विश्व मानचित्र पर अपनी अलग पहचान रखता है। इसी जिले में जैसलमेर-पोकरण के बीच प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल भादरियाराय माता मंदिर स्थित है। यहां जगदम्बा सेवा समिति ने एक विशाल पुस्तकालय। यह एशिया की सबसे बडत्री अंडरग्राउंड लाइब्रेरी है।

    8 लाख किताब, कीमत 16 करोड़
    इस लाइब्रेरी में 8 लाख से ज्यादा किताबें हैं, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए से ज्यादा है। यहां दुनिया के सभी ग्रंथ से लेकर नोवेल, पांडुलिपि और प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक के भाषण को सहेज कर रखा गया है। 41 साल पहले एक संत हरवंशसिंह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने इसकी स्थापना की थी।

    21 अप्रैल 1981 में रखी गई थी नींव
    इलाके के लोग बताते हैं कि हरवंश संह निर्मल उर्फ भादरिया महाराज ने मंदिर के पास ही एक गुफा में 9 साल तक तपस्या की थी।उनका सपना था कि वे यहां पर कॉलेज खोलें। वे जगदंबा सेवा समिति के संस्थापक भी थे। 21 अप्रैल 1981 को उन्होंने एक धर्मशाला और लाइब्रेरी के लिए नींव रखी थी। इसके बाद समिति के पदाधिकारी और स्थानीय लोगों की मदद से इसे सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाया गया।

    एक बार में बैठ सकते हैं 5 हजार से ज्यादा लोग
    यह लाइब्रेरी इतनी बड़ी है कि इसमें एक बार में 5 हजार से ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। जगदंबा सेवा समिति इसकी देखरेख करती है। इस समिति में करीब 150 लोग है। किताबें खराब न हों, इसके लिए हर 5 से 6 महीने में विशेष तरह के लेप, पाउडर से इन्हें साफ किया जाता है। इस दौरान अलमारियों की भी सफाई की जाती है।

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