धर्मगुरू से बलात्कारी बने आसाराम की गुरूवार को जोधपुर सेट्रल जेल में मुजरिम के रूप में पहली रात थी। इससे पहले पिछले 5 सालों में वह केवल एक आरोपी था जिसपर केस चल रहा था। बुधवार को जोधपुर कोर्ट के आसाराम को मुजरिम मानते हुए ताउम्र कारावास की सजा सुनाई। इससे पहले आसाराम के लिए जोधपुर के आश्रम से हर रोज खाना आता रहा है। Asaram in jail
लेकिन अब जेल के नियमों के मुताबिक बाहर से खाना आने पर पाबंदी है और जेल का खाना ही खाना पड़ेगा। ऐसे में आसाराम ने जेल का खाना यह कहकर खाने से मना कर दिया कि आज उनका उपवास है। संभवतया पिछले 5 सालों में यह पहला मौका रहा है जब आसाराम के लिए आश्रम से खाना नहीं आया हो। Asaram in jail
जेल मेन्यू के अनुसार, यहां लौकी की सब्जी, दाल मोठ और रोटी बनी थी। लेकिन आसाराम ने एकादशी का व्रत होने का बहाना बना खाना लौटा दिया। जेल नियमों के मुताबिक, जिन कैदियों को सजा हो जाती है, उन्हें जेल का खाना ही खाना पड़ता है। विशेष परिस्थितियों में ही कोर्ट किसी कैदी की मांग पर घर का खाना मंगवाने की अनुमति दे सकता है। सेंट्रल जेल में आसाराम को बैरक नंबर दो में कैदी नंबर 130 का तमगा दिया गया है। दूसरी ओर पीड़िता के पिता ने मीडिया को बताया कि न्याय मिलने के बाद पिछले 5 सालों में पहली बार उनका परिवार चैन की नींद सो पाया है। Asaram in jail
Read More: राजस्थान में हर 5 साल में सरकार क्यों बदलती है? जानिए मुख्य वजह
आपको बता दें, जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को पाॅस्को अधिनियम के तहत नाबालिग से दुराचार करने के मामले में जस्टिस मधुसूदन शर्मा की बैंच ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उनके दोनों सहयोगी शिल्पी गुप्ता और शरदचंद्र को 20-20 साल की सजा सुनाई गई है। Asaram in jail
जेल में बंद आसाराम को लाचार बुजुर्ग श्रेणी में पेड़-पौधों को पानी पिलाने का यानि माली का काम दिया जाएगा। चूंकि आसाराम की आयु 81 साल हो चुकी है। ऐसे में सरकार के नियमानुसार उससे श्रम नहीं कराया जा सकता। ऐसे में अब आसाराम को जेल में पेड़-पौधों को पानी पिलाने का काम ही दिया जा सकता है।