आसाराम आज जेल की सलाखों के पीछे बंद है और यौन उत्पीड़न की सजा काट रहा है। लेकिन जिस समय वह बाहर था और उसपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था, तब उसका कद कुछ और ही था। लाखों अंधभक्तों के बीच उसे सीधे-सीधे गिरफ्तार कर पाना कोई छोटा-मोटा काम नहीं था। लेकिन आईपीएल अजय पाल लांबा की अपनी सूझबूझ से यह पहाड़ जैसा असम्भव सा लगने वाला काम केवल 11 दिनों में कर दिखाया। Asaram Rape Case
आसाराम को पाॅस्को अधिनियम के तहत नाबालिग से दुराचार करने के लिए जोधपुर की कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उनके दो सहयोगियों को 20-20 साल और एक-एक लाख रूपए जुर्माने की सजा हुई है।
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जोधपुर वेस्ट के तत्कालीन डिप्टी कमिष्नर रहे लांबा को इससे पहले 1600 खत मिले थे जिसमें उन्हें केस में जान से मारने की धमकियां लिखी हुई थी। ऐसे में अगर यह जाबाज आॅफिसर केस से पीछे हट जाता तो शायद आज आसाराम जेल में नहीं कहीं विदेष में बैठा होता। आईपीएल अजय पाल ने 5 पुलिस अफसरों और 6 कमांडों की मदद से 11 दिन में आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। जांच में आरोप साबित होने के बाद सटीक रणनीति बनाकर आसाराम को मध्यप्रदेष के इंदौर से गिरफ्तार किया गया।
इस बारे में लांबा बताते हैं, चुनौतियां अनेक थीं। जिस तरह का आसाराम का उस समय कद था, देशभर में उसके लाखों अंधभक्त थे, उस स्थिति में दूसरे प्रदेश में जाकर उसे गिरफ्तार करना राजस्थान पुलिस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन इस केस का सबसे मजबूत पहलू था नाबालिग पीड़िता के बयान। पीड़िता के बयान को साबित करने वाले सभी तथ्यों व सबूतों को सतर्कता के साथ जुटाया गया। बाद में उसे विधिवत रूप से कानूनी दायरे में पिरोया गया। यही आसाराम की गिरफ्तारी का आधार और पुलिस की सबसे बड़ी सफलता थी। उन्हीं के आधार पर पुलिस आसाराम को जेल के पीछे धकेल पाई।
इस गिरफ्तारी में जांच अधिकारी चंचल मिश्रा का भी अहम योगदान रहा। इस मामले में गवाह रही चंचल के बयान पर सालभर तक देश के ख्यातनाम वकीलों ने जिरह की थी, लेकिन वो उसे डिगा न सके।