जयपुर। राजस्थान में जैसलमेर की सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के लिए परेशानी का कारण बनने वाले शिफ्टिंग सेंड ड्यूंस अब ग्रामीणों के लिए भी मुसीबत खड़ा कर रहा है। शिफ्टिंग सेंड ड्यूंस के कारण तारबंदी पूरी तरह से रेत में ढक जाती है, जिससे सीमा पार करना आसान हो जाता है। सीमावर्ती करड़ा व पोछीणा सहित करीब आधा दर्जन गांवों की बकरियां रेत पर चढ़कर सीमा पार जा चुकी है। हालांकि बीएसएफ के जवान तारबंदी को लेकर सजग रहते हैं। लेकिन शिफ्टिंग सेंड ड्यूंस उनकी परेशानी को बढ़ा रहा है। हालांकि जिस जगह ऐसी स्थिति है उस जगह बीएसएफ के जवान ज्यादा सतर्क रहते हैं। लेकिन इस सतर्कता के बावजूद करीब 10 दिन पहले 200 बकरियां तारबंदी पार कर पाकिस्तान चली गई है।
तारबंदी को पूरी तरह ढक लेती है रेत
जैसलमेर में चलने वाली तेज आंधियों के कारण रेत के धोरे आंधियों के साथ अपनी जगह बदलते रहते हैं। सीमावर्ती गांवों में यह आम बात है। आंधियों की वजह से कभी-कभी रेत तारबंदी को पूरी तरह से ढक लेती है। कई बार तारबंदी के नीचे की रेत भी आंधियों के साथ उड़ जाती है। पिछले दिनों ही जैसलमेर के सीमावर्ती गांव करड़ा, पोछीणा, मिठडाउ, केरला, सुंदरा, गुंजनगढ़ व पांचला गांवों की करीब 200 बकरियां सीमा पार कर पाकिस्तान चली गई है। जिससे पशु पालकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं।
सरकार से की मुआवजा और मदद की मांग
ग्रामीणों के मुताबिक पोछीणा गांव के लाल सिंह की 80, चतुर सिंह की 40, हुकूम सिंह की 20, भोम सिंह की 10 व सुजान सिंह की 40 बकरियां रेत पर चढ़कर सरहद के पार पहुंच गई है। दरअसल सीमावर्ती गांवों में आजीविका का एकमात्र साधन पशुपालन ही है। ऐसे में बकरियों के सरहद पार जाने से संबंधित परिवारों के भरण-पोषण में परेशानी पैदा हो गई है। ग्रामीण पशुपालकों ने सरकार से मुआवजा और मदद की मांग की है।