वर्ल्ड बैंक ने साल 2018 में चीन की विकास दर को भारतीय विकास दर के मुकाबले कम रहने का दावा किया है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत 2018 में चीन को पीछे छोड़ आगे निकल जाएगा। आम बजट से ठीक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि 2018 में भारत की विकास दर 7.3 फीसदी रहेगी। इसके बाद के दो साल तक यह 7.5 फीसदी के स्तर पर रहेगी और चीन को इस मामले में काफी पीछे छोड़ देगी। दूसरी ओर, चीन की विकास दर 2017 में 6.8 फीसदी रही जो भारत की 6.7 फीसदी से 0.1 फीसदी ज्यादा है। लेकिन 2018 में यह 6.4 फीसदी और 2019 व 2020 में क्रमश: 6.3 और 6.2 फीसदी पर सिमट जाएगी।
World Bank is upbeat about Indian economy with projection of 7.3% growth in 2018 and 7.5% in the next two years. This clearly shows how India is about to grow faster than China and other comparable countries under @narendramodi government.#NewIndiaTakeOff pic.twitter.com/55MWF1si94
— Shankar Chaudhary (@ChaudhryShankar) January 10, 2018
बुधवार को जारी ग्लोबल इकोनामिक्स प्रॉस्पेक्ट में वर्ल्ड बैंक ने स्टेटमेंट दिया है कि ‘व्यापक सुधार की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए महत्वाकांक्षी कदमों के साथ भारत के अंदर अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले विकास की अपार संभावनाएं हैं। नोटबंदी और जीएसटी के कारण प्रारंभिक झटकों से उबरते हुए यह 2017 में 6.7 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है।’
Read more: पूरे विश्व में तीसरे सबसे शक्तिशाली नेता हैं मोदी
विश्व बैंक के निदेशक ऐहान कोसे ने कहा कि ‘इस बात की भरपूर संभावना है कि अगले दशक में भारत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले तेज गति से विकास करेगा। इसलिए मैं निकट भविष्य में आर्थिक विकास के अनुमानों को लेकर चिंतित नहीं हूं। अगले दस साल की बात की जाए तो भारत के अंदर जबर्दस्त संभावनाएं हैं।’
कोसे के सुझाया है कि विकास दर को उच्च रखने और चीन को पीछे छोड़ने की संभावनाओं को हकीकत में बदलने के लिए भारत को निवेश बढ़ाने के उपाय करने होंगे। श्रम बाजार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य से जुड़े सुधारों को लागू करने और निवेश के रास्ते की बाधाओं को दूर करने से भारत को काफी लाभ होगा। भारत युवाओं का देश है और इस मामले में कोई भी देश उसके आसपास भी नहीं ठहरता है। इन खूबियों के दम पर भारत अगले दस साल तक औसतन सात फीसदी की विकास दर हासिल करने की क्षमता रखता है। अगर लंबे समय तक ऐसा रहा तो चीन के साथ—साथ अन्य कोई देश भारतीय विकास दर और अर्थव्यवस्था के आसपास भी नहीं टिक पाएगा।