मोदी मैजिक के सहारे यूपी में प्रचंड बहुमत से जीतकर सत्ता में आई बीजेपी ने सीएम के नाम पर फैसला करने में एक हफ्ता लगाया। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक खूब मंथन हुआ। तमाम दावेदारों के नामों पर चर्चा हुई और अब योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लग गई है।
403 में से 325 सीटे भाजपा की
403 में 325 सीटों पर जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में आई बीजेपी के सामने सीएम के नाम को लेकर कोई दुविधा नहीं दिखी। कारण है बहुमत इतना बड़ा मिला कि मोदी और अमित शाह के सामने किसी के पक्ष में भी फैसले लेने की आजादी थी.
कट्टर हिंदुत्ववादी एवं राष्ट्रवादी सोच
योगी आदित्यनाथ संघ के भी करीबी माने जाते हैं। गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं और हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं। लव जेहाद और राम मंदिर जैसे मुद्दों को लेकर वे अपना कट्टर रुख अक्सर दिखाते रहे हैं।
जमीनी पकड़ और लंबा राजनीतिक अनुभव
योगी आदित्यनाथ पांच बार से लगातार गोरखपुर के सांसद रहे हैं। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से 2014 में तीन लाख से भी अधिक सीटों से चुनाव जीते थे। 2009 में दो लाख से भी अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। पूर्वांचल की 60 से अधिक सीटों पर योगी आदित्यनाथ की पकड़ मानी जाती है। बाकी के दावेदार यहीं योगी से पीछे छूट गए।
पीएम का पूर्वांचल मे फोकस
2014 में जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ने उतरे थे तभी संकेत मिल गया था कि यूपी की जंग जीतने के लिए बीजेपी पूर्वांचल पर पूरा फोकस रखेगी। लोकसभा की 80 में से 73 सीटें बीजेपी और सहयोगियों ने जीत ली।
अन्य दावेदारों का कोई जमीनी आधार नहीं
यूपी सीएम की रेस में शामिल अन्य दावेदारों का कोई जमीनी आधार नहीं होना भी योगी के पक्ष में गया। योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल की 60 से अधिक विधानसभा सीटों और कई लोकसभा क्षेत्रों में असर रखते है।