वर्ल्ड यूथ स्किल डेः राजस्थान के कौशल विकास को पूरी दुनिया ने सराहा, देश की पहली स्किल यूनिवर्सिटी हमारे यहां

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राजस्थान सरकार ने प्रदेश के विकास और उत्थान के लिए कौशल विकास को नए अध्याय के रूप में अपनाया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश के युवाओं को तरक्की और विकास की नए आयाम स्थापित करने के लिए कौशल विकास की अवधारणा को जन्म दिया। आज पूरा विश्व युवा कौशल दिवस मना रहा है ऐसे में राजस्थान में कौशल विकास की क्या भुमिका रही है, राजस्थान ने कौशल विकास की दिशा में क्या महत्वपूर्ण आयाम स्थापित किए है के बारें में विस्तृत रूप से जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री राजे ने साल 2015 में कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग के नाम से एक अलग विभाग का गठन किया। वहीं देश की पहली स्किल यूनिवर्सिटी भी राजधानी जयपुर में स्थापित की गई। जिसके पहले कुलपति के रूप में ललित के. पंवार को नियुक्त किया गया है।

युवाओं की ऊर्जा का सकारात्मक तरीकों से हो रहा है उपयोग

प्रदेश में जहां बड़ी संख्या में युवाओं को कौशल प्रशिक्षण मुहैया करवाया गया है, वहीं हुनर के जरिए रोजगार भी लाखों युवाओं को उपलब्ध हुआ है। पूरे विश्व के समक्ष बेरोजगारी आज एक बड़ी समस्या है। साथ ही युवाओं की ऊर्जा को किस तरह नकारात्मकता से बचाकर देश-दुनिया के विकास में सकारात्मक तरीके से उपयोग लिया जाए यह भी दुनिया के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। हाल के दौर में कौशल विकास को इस विकट समस्या के सटीक समाधान के रूप में पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है।

राजस्थान को दो बार मिला स्किल डवलपमेंट का अवॉर्ड

कौशल विकास को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकताओं में रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी कौशल विकास पर खास फोकस किया है। राजस्थान देश भर में कौशल विकास कार्यक्रम को क्रियान्वित करने में अग्रणी है और इसके लिए दो बार गोल्ड ट्रॉफी भी राजस्थान हासिल कर चुका है।

राजे सरकार लाई कौशल विकास नीति

कौशल विकास के क्षेत्र में यहां हो रहे नवाचारों को दूसरे प्रदेशों ने भी प्रमुखता के साथ अपनाया है। कौशल विकास को बढ़ावा देने के मकसद से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने साल 2004 में ही आरमोल की स्थापना की थी। उस वक्त प्रदेश में 95 प्रतिशत से ज्यादा युवा अनस्किल्ड थे। बाद में कौशल विकास को गति देने के लिए प्रदेश में RSLDC नाम से कम्पनी बनाई गई। राजस्थान की ही पहल को आगे बढ़ाते हुए केन्द्र सरकार साल 2009 में कौशल नीति लेकर आई थी।

8 लाख युवाओं को मिला हुनर

राजस्थान में पिछले तीन साल में करीब 881 नई आईटीआई खोली गई हैं और अब प्रदेश का ऐसा कोई ब्लॉक नहीं है जहां कम से कम एक आईटीआई नहीं हो। प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में 88 अलग-अलग ट्रेंड्स में युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रदेश में आरएसएलडीसी के माध्यम से अब तक 2 लाख 8 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जबकि आईटीआई संस्थानों से करीब 5 लाख स्टूडेंट्स को जोड़ा गया है। कई विदेशी कम्पनियों से करार कर युवाओं को स्तरीय कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया जा रहा है और कौशल प्रशिक्षण में नई प्रौद्योगिकी का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का सपना कौशल प्रशिक्षण के जरिए 15 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना है और अब तक लाखों युवाओं को रोजगार हासिल भी हो चुका है।

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