दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र भारत में आज उसके नए राष्ट्रपति का ऐलान होगा। देश के सबसे मज़बूत गठबंधन एनडीए की ओर से रामनाथ कोविंद और विपक्ष के रूप में यूपीए की ओर से मीरा कुमार इस दौड़ में शामिल है। 17 जुलाई को देश के 29 राज्यों सहित दिल्ली, पुड्डुचेरी और संसद भवन में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आज शाम तक सामने आ जायेंगे। यदि वोटों का समीकरण देखें तो रामनाथ कोविंद का देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर रायसीना हिल्स जाना निश्चित ही लग रहा है। विपक्ष की कमज़ोरी कहे या एनडीए की मज़बूती रामनाथ कोविंद की जीत लगभग तय मानी जा रही है। आज शाम तक आने वाले परिणामों को देखना तो महज़ अब औपचारिकता रह गयी है।
जानिये मीरा कुमार को:
स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल के सदस्य रहे बाबू जगजीवन राम की सुपुत्री मीरा कुमार को यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) ने विपक्ष के साझा सहयोग से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। देश की पहली लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार पांच बार लोकसभा सांसद भी रह चुकी है। एनडीए ने जब राष्ट्रपति पद के लिए बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद को दावेदार बनाया तो यूपीए की उलझनें बढ़ गई। विपक्ष के रूप में प्रमुख चहरे माने जाने वाले नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू ने भी कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था। ऐसे में आनन-फानन में विपक्ष ने दलित कार्ड खेलते हुए मीरा कुमार को आगे कर दिया।
समझिये रामनाथ कोविंद को:
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश के कानपुर ज़िले की डेरापुर तहसील के परौंख गाँव में रहने वाले एक बेहद साधारण परिवार से आने वाले रामनाथ कोविंद को देश के सबसे बड़े गठबंधन समूह एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया है।
बिहार के पूर्व राज्यपाल रह चुके कोविंद भारतीय उच्चतम न्यायलय में 16 वर्ष वकालात कर चुके है। राजनीति से ख़ासा लगाव न रखने वाले कोविंद लगातार दो बार उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सांसद भी रह चुके है। गरीब, पिछड़ों और निचले तबके के हक़ की लड़ाई लड़ने वाले रामनाथ कोविंद ने देश में शोषित वर्ग के उद्धारक के तौर पर अपनी पहचान बनाई है।
ख़ास क्या है राष्ट्रपति पद के इन चुनावी दावेदारों में:
आज़ादी के बाद से भारतीय राजनीति के अब तक के अरसे को देखें तो यह आभास होता है कि वर्तमान में देश के सभी राजनैतिक दलों के बीच प्रतिद्वंदिता कुछ गहरी हो चली है। इसी कारण से राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी है। इस चुनाव में दावेदारी कर रहे दोनों उम्मीदवारों के बारे में यदि जानकारी जुटाई जाए तो पता चलता है कि इन दावेदारों में कुछ खास है।
- जीते चाहे रामनाथ कोविंद या मीरा कुमार, लेकिन यह तय है कि देश को दलित समुदाय से दूसरे राष्ट्रपति मिलने वाले है। इससे पहले प्रथम दलित और 10वें राष्ट्रपति के तौर पर 1997 से 2002 के बीच में के. आर. नारायणन ने पदभार संभाला था।
- दोनों उम्मीदवार बिहार से सम्बन्ध रखते है। कोविंद जहां बिहार के पूर्व राज्यपाल रह चुके, तो मीरा कुमार की पैदाइश बिहार से है।
- देश के अब तक के राष्ट्रपतियों को देखा जाए तो अधिकाँश ने उपराष्ट्रपति बनने के बाद यह दायित्व संभाला है। कोविंद और मीरा कुमार को उपराष्ट्रपति पद का अनुभव नहीं है।
- रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार दोनों अपने समय में सिविल सर्विसेज़ परीक्षा में सफल उम्मीदवार है।