20 अक्टूबर को रीता बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई है। दिग्गज नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता लंबे अरसे तक यूपी में कांग्रेस की अध्यक्ष रही थी। टीवी चैनलों पर भी कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर देखी जाती थीं, लेकिन 20 अक्टूबर को दिल्ली के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रीता ने कहा कि राहुल गांधी ने यूपी में कांग्रेस को ठेके पर दे दिया है। अब यूपी कांग्रेस में वो ही होता है, जो ठेकेदार प्रशांत किशोर चाहता है। मेरे जैसे पुराने नेता को भी रात के समय बताया जाता है कि अगले दिन कहां जाना है। ऐसी बेइज्जती और सहन नहीं हो सकती इसलिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई हूं। सोनिया गांधी तो हमसे मुलाकात कर लेती थीं, लेकिन राहुल गांधी के पास तो संदेश भिजवाना भी मुश्किल होता है। रीता बहुगुणा ने तब बगावत की है, जब अगले माह कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी और अगले वर्ष यूपी में विधानसभा चुनाव होने हंै। यह माना कि यूपी में अपनी उपेक्षा की वजह से ही रीता बहुगुणा भाजपा में आई है, लेकिन जो हालात यूपी में कांग्रेस के है वैसे ही राजस्थान मेंं भी हैं। हालांकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2 वर्ष बाद होंगे लेकिन सचिन पायलट को स्थापित करने के लिए पुराने कांग्रेसियों को दरकिनार किया जा रहा है। जो हाल यूपी में रीता बहुगुणा के किये वैसे ही हाल राजस्थान में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सीपी जोशी, गिरिजा व्यास जैसे नेताओं के किए जा रहे हैं। इसमें राजस्थान में प्रशांत किशोर की भूमिका गुरूदास कामत निभा रहे हैं। अभी हाल ही में कामत ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के निवास पर डिनर डिप्लोमैसी की। पायलट डिनर में किस कांग्रेसी को बुलाए इसकी छूट दी गई जबकि गहलोत के डिनर में वही कांग्रेसी आए जिन्हें पायलट के इशारे पर बुलाया गया यानि डिनर तो गहलोत के घर था लेकिन निमंत्रण देने का अधिकार गहलोत को नहीं दिया गया। सोनिया गांधी माने या नहीं, लेकिन राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव आते-आते कई कांग्रेसी नेता बहुगुणा जैसे बन जाएंगे। पायलट के आसपास जो चौकड़ी जमा है, वह पायलट को एक दायरे से बाहर निकलने नहीं दे रही है।
(एस.पी. मित्तल)