स्वच्छ भारत अभियान में अपनी हिस्सेदारी निभा धौलपुर के रतनसिंह ने पेश की एक मिसाल

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स्वच्छ भारत अभियान
Swachh Bharat Abhiyan में अपनी हिस्सेदारी निभा धौलपुर के रतनसिंह ने पेश की एक मिसाल

स्वच्छ भारत अभियान में अपनी हिस्सेदारी निभा धौलपुर के रतनसिंह ने पेश की एक मिसाल

जहां चाह वहीं राह। किसी कहावत पर अमल करते हुए धौलपुर के रहने वाले रतनसिंह ने आर्थिक रूप से कमजोर होते हुए भी स्वच्छ भारत अभियान में अपना योगदान देते हुए अन्य गांव वालों के लिए भी एक आदर्श मिसाल रखी। उसका मनोबल देखकर गांव वालों ने भी उसका सहयोग किया। यह कहानी है धौलपुर के रतनसिंह उर्फ रतना नाम के व्यक्ति की जो गांव गढी, ग्राम पंचायत दुवाटी में रहता है। रतना शारीरिक रूप से दिव्यांग है और गरीबी रेखा से नीचे का जीवन यापन करता है। एक दुर्घटना में उसके एक हाथ की चारों उंगलिया कट गई थी जिससे उसका जीवन और भी दयनीय हो गया। एक हाथ से काम न कर पाने की वजह से उसे गांव में कोई काम नहीं मिलता था। परिवार की हालत ऐसी कि कभी एक वक्त का खाना बना और कभी—कभी वह भी नहीं। किसी—किसी दिन पूरा परिवार भूखे पेट ही सो जाता।

इतनी परेशानियों के बीच रतना को जब शौचालय निर्माण और उसे फायदे-नुकसान का पता चला तो उसने अपनी मनोबल और दृढ इच्छा के चलते घर में शौचालय निर्माण कराने की ठानी। जैसे ही उसने अपने आंगन में शौचालय निर्माण की नींव रखी, आसपास के लोगों ने अपने सामर्थ अनुसार उसे ईंट, सीमेंट, रेता व अन्य सामान दिलवाने में आर्थिक सहायता प्रदान करना शुरू किया। अपने परिवार और गांव वालों के सहयोग से उसने जल्दी ही अपने घर में शौचालय का निर्माण कराया और प्रधानमंत्रीजी के स्वच्छ भारत अभियान में सहयोग दिया। रतना का परिवार इस मुहिम के बाद खुले में शौच मुक्त हो गया। उसकी हिम्मत और जज्बे को देखते हुए अन्य ग्रामीणों को भी प्रेरणा मिली और उन्होंने भी अपने घर व आसपास स्वच्छता का मतलब समझा। इसके साथ ही रतना ने पूरे गांव में घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता के बारे में समझाया और लोगों को दरवाजा बंद करो मुहीम यानि शौचालय का निर्माण करा उपयोग करने के बारे में बताया।

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रतना अकेला व्यक्ति नहीं है जिसने इस मुहीम में पहल की है। उसके जैसे हजारों परिवार हैं जिन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद स्वच्छ भारत अभियान में अपना योगदान दिया। इन लोगों ने समझा कि घर की लड़कियों और औरतों की लाज घर के अंदर ही सुरक्षित है। साथ ही बीमारियों से रोकथाम में इलाज के दौरान होने वाले खर्च को अगर शौचालय निर्माण पर खर्च किया जाए तो बीमारियों से रोक तो होगी ही, स्वच्छता भी कायम रहेगी और बचे पैसों से घर व परिवार का विकास किया जा सकेगा। जैसाकि किताबों में भी लिखा है: स्वच्छता की शुरूआत सबसे पहले अपने घर और फिर गांव से शुरू करें, ताकि हमारा देश स्वच्छ व एवं स्वस्थ रह सके। जब स्वच्छ होगा इंडिया, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया

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