राजस्थान के लोगों ने बरसों से एक सपना संजोया है कि थार का सोना यहां की माटी में मिलकर विकास का उजाला बिखेरें। थार का काला सोना यहां के लोगों की अंधेरी दुनिया को एक नई रोशनी देने का एक प्रयास मात्र होगा। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान के सुनहरे भविष्य की तकदीरों को सहेज लिया है और यहां के हर प्राणी को नया जीवन देने के लिए उन्होने पूरे राजस्थान को तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री राजे के नेतृत्व में प्रदेश उन बुलंदियों के शिखपर पर है जहां सिर्फ और सिर्रफ सुनहरे भविष्य की चमक हो, गुंजते धोरों से राजस्थान का यशोगान हो और सबकी नज़रें राजस्थान हो। राजस्थान के बाड़मेर में लगने वाली रिफायनरी से राजस्थान कुछ ऐसा ही देखा जा रहा है।
सरकार और एचपीसीएच के बीच ज्वाइंट वेंचर तैयार
बाड़मेर के पचपदरा में रिफाइनरी लगाने के लिए राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच जल्द ही ज्वाइंट वेंचर एग्रीमेंट किया जा रहा है। पेट्रोलियम विभाग की प्रमुख सचिव अपर्णा अरोड़ा की ओर से प्रस्ताव तैयार करके अनुमोदन कराने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री से अनुमोदन होने के बाद इसे कैबिनेट से ग्रीन सिग्नल कराया जाएगा। इस प्रक्रिया में करीब 10 का समय लगने की संभावना है।
कैबिनेट से ग्रीन सिग्नल का रहेगा इंतजार, सितंबर में हो सकता है शिलान्यास
प्रदेश में रिफाइनरी लगाने के लिए राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच एमओयू यानी करार तो हो गया है। उसकी अगली कड़ी में ज्वाइंट वेंचर एग्रीमेंट किया जाना है, जिसके तहत एचपीसीएल और राज्य सरकार के स्तर पर कौन-कौन से कार्य किया जाएंगे, उसकी शर्तें क्या होंगी। इस एग्रीमेंट में विस्तार से खोल दिया जाएगा, जिससे भविष्य में राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच कोई विवाद होने पाए। बताया जा रहा है कि इस एग्रीमेंट के किए बने रिफाइनरी के कार्य को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। इसको लेकर पेट्रोलियम विभाग की ओर से तेजी से कार्य कराया जा रहा है, जिससे सितंबर या अक्टूबर में रिफाइनरी का शिलान्यास कराया जा सके। राज्य सरकार की कोशिश है कि इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराया जाए, लेकिन अभी तक मोदी की ओर से कोई ग्रीन सिग्नल नहीं मिल पाया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से अगस्त में पर्यावरण स्वीकृति मिलने की संभावना है।