ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) के दूसरे दिन गुरुवार को एग्रीकल्चर अबन्डंस ऑफ कोटा इर्मेर्जिंग अपॉच्युनिटीज पर सेमिनार आयोजित की गई। चंबल नदी यहां पर होने के कारण सिंचाई की विशेष सुविधाएं मिलती है। क्षेत्र में कृषि को उन्नत बनाने के लिए काफी कुछ किया जा सकता है। यहां के किसान एग्रीकल्चर टूरिस्ट को बढ़ावा दे सकते हैं। राज्य सरकार इसमें संभावनाएं तलाश रही है।
कोटा में 93 फीसद क्रॉप एरिया है
सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रमुख शासन सचिव, कृषि विभाग, नीलकमल दरबारी ने कहा कि कोटा संभाग के चारों जिलों में केती की नई तकनीकों को बढ़ाने और उन तकनीकों के उपयोगी की बहुत संभावनाएं है। उन्होने बताया कि कोटा संभाग में 2400000 हैक्टर क्षेत्र में खेती होती है। हाड़ौती में 93 प्रतिशत क्रॉप एरिया है।
पर्यटकों को कर सकते किसान आकर्षित
यहां के किसान अपने खेतों में छोटी-छोटी क्यारियां फुलवारियां वह उन्नत किस्म के पौधे लगाकर पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। सरकार इस और भी संभावनाएं तलाश रही है। उन्होंने कहा कि कृषि में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं, युवाओं को इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। कृषि को प्राथमिकता प्रदान कर रही है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाया जा सके। उन्होंने किसानों तथा पशु पालकों से कहा कि अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेतीबाड़ी व पशु पालन व्यवसाय के बारे में भी जागरूक करें, ताकि वह समय आने पर इस व्यवसाय को स्वरोजगार के रूप में अपना कर अपने लिए रोजगार पैदा कर सकें।
किसान लगा सकते है खेत में प्रोसेसिंग यूनिट
इसके साथ ही किसान अपने खेतों में प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं। सेमिनार में सहकारिता मंत्री अजय सिंह, कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी और सांसद ओम बिरला मौजूद हैं। कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी व किसान सेमीनार में भाग ले रहे हैं। सेमिनार में काजरी अनुसंधान जोधपुर के डॉ. कुमार ने कहा कि कोटा संभाग में दालों का बहुत कम उपयोग हो रहा है और यही स्थिति पूरे राजस्थान में जब की दाल में प्रोटीन का सबसे सस्ता स्त्रोत है। दालें आने वाले समय की फसलें हैं तापमान लगातार बढ़ रहा है और ऐसी स्थिति में अन्य सब्जियां धीरे धीरे कम होती जाएगी लेकिन दालें 43 डिग्री तापमान में भी होती रहेगी।