राजस्थान वीरों की मरूभूमि कहलाती है और इसी की मिसाल हैं यहां के वैभवशाली व गौरवशाली किले। इतिहास की किताबों के गर्त में छिपे ये किले न केवल अपने गौरव की कहानी कहते हैं, अपितु सुख—समृद्धि का गुनगान भी करते हैं। अगर आपकी दिलचस्पी इतिहास में है तो एक बार इनको देखना तो बनता है। वैसे तो राजस्थान के प्रत्येक जिले में कई शानदार किले मौजूद हैं लेकिन हम इस लेख में बात करेंगे प्रदेश स्थित किलों के बारे में, जो न केवल देखने में आकर्षक हैं, बल्कि पयर्टकों की दृष्टि से भी अजूबे से कम नहीं हैं। साथ ही राजस्थान की भव्यता और शान की मिसाल भी कहे जाते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में …..
आमेर फोर्ट (जयपुर)
आमेर का किला राजस्थान का सबसे मजबूत और वैभवशाली किला है। राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित यह एक पर्वतीय दुर्ग है। कछवाहा राजपूत राजा मानसिंह, मिर्जा राजा जयसिंह और सवाई जयसिंह ने इस किले को करीब 200 साल की अवधि में बनवाया है। माना जाता है कि बनने के बाद से आज तक इस किले को कभी कोई जीत नहीं पाया है। इसकी वजह किले की मजबूत दिवारें और किले के अंदर जयपुर के राजपूत घराने की कुलदेवी शिलादेवी का मंदिर बताई जाती है। किला मूठा झील के किनारे स्थित है जिसमें इसमें महल, मंडप, हॉल, मंदिर और बगीचे भी हैं। यह दुर्ग व महल अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिये भी जाना जाता है। यहां की विशाल प्राचीरों, द्वारों की शृंखलाओं एवं पत्थर के बने रास्तों से भरा ये दुर्ग पहाड़ी के ठीक नीचे बने मावठा सरोवर को देखता हुआ प्रतीत होता है। यही सरोवर आमेर के महलों की जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत भी है। किंवदन्तियों के अनुसार दुर्ग को यह नाम माता दुर्गा के पर्यायवाची अम्बा से मिला है। Rajasthan Forts
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कुम्भलगढ़ किला (राजसमंद)
यह किला राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किला है। कुम्भलगढ़ का दुर्ग राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है। इस किले का निर्माण पंद्रहवी सदी में राजा राणा कुंभा ने कराया था। इसमें महाराणा फतेह सिंह द्वारा निर्मित किया गया एक गुंबददार महल भी है। वास्तुशास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बने है। इस किले को ‘अजेयगढ’ कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे बडी दीवार है। इस दुर्ग के भीतर एक और गढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वारों व सुद्रढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में बादल महल है व कुम्भा महल सबसे ऊपर है।
जैसलमेर किला (जैसलमेर)
शहर के केन्द्र में स्थित जैसलमेर किले को आज भी शहर की शान माना जाता है। इसे ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किले’ भी कहते हैं. दरअसल, यह पीले बलुआ पत्थर से बना है और इस वजह से सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है। सोनार दुर्ग विश्व का एकमात्र आवासीय किला है जो शहर की आबादी के एक चौथाई के लिए एक आवासीय स्थान है। किले के परिसर में कई कुंए हैं जो आज भी यहां के निवासियों के लिए पानी का नियमित स्त्रोत हैं। यह किला राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली को दर्शाता है।
तारागढ़ किला (अजमेर)
तारागढ़ किला ‘स्टार फोर्ट’ के नाम से प्रसिद्ध है और शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक माना जाता है। तारागढ का दुर्ग राजस्थान में अरावली पर्वत पर स्थित है। इसे ‘बूंदी का किला’ भी कहा जाता है। अजमेर शहर के दक्षिण-पश्चिम में ढाई दिन के झौंपडे के पीछे स्थित यह दुर्ग तारागढ की पहाडी पर 700 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं। इस क़िले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चौहान ने मुग़लों के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था। क़िले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं। इस किले में पानी के तीन तलाब शामिल हैं जो कभी नहीं सूखते। किले की भीम बुर्ज पर रखी ‘गर्भ गुंजन’ तोप अपने विशाल आकार और मारकक्षमता से शत्रुओं के छक्के छुड़ाने का कार्य करती थी। आज भी यह तोप यहां रखी हुई है।
चित्तौड़गढ़ किला (चित्तौड़गढ़) Rajasthan Forts
चित्तौड़गढ़ किला, एक भव्य और शानदार संरचना है जो चित्तौड़गढ़ के शानदार इतिहास को बताता है। यह इस शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। किले तक पहुंचने के लिए एक सीधी चढ़ाई और घुमावदार मार्ग से एक मील चलना होगा। Rajasthan Forts
भटनेर का किला (हनुमानगढ़) Rajasthan Forts
इसे भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना गया है। यह किला करीब 1700 साल पुराना माना जाता है, जिसका निर्माण राजा भूपत ने कराया था। गागर नदी के किनारे बना यह किला अब हनुमानगढ़ फोर्ट के नाम से जाना जाता है।