राजस्थान कांग्रेस अपनी आपसी कलह से उभर नही पा रही है इसलिए कुछ जगहों पर चल रहे किसान आंदोलनों को भुनाने की कोशिशों में जुटी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की आपसी कलह किसी से छूपी नही है। किसानों के प्रदर्शन के लिए बुधवार को सीकर में कांग्रेसियों के आह्वान पर पायलट, गहलोत और जोशी के बीच आपसी मनमुटाव एक बार फिर सबसे सामने आ गया। दरअसल जहां पीसीसी चीफ जाते है वहां पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नही जाते है। जहां ये दोनों होते है वहां कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी नही पहुंचते है। ऐसा ही कुछ जोधपुर में देखा गया। कांग्रेस में स्थानीय राजनीति हावी होने लगी है नेता आपस में बंट गये है जिससे पार्टी के बड़े नेता बड़े गुटों में विभाजित हो गये है।
जोधपुर में दिखी स्थानीय राजनीति हावी
प्रदेश में ज्यादातर जिला मुख्यालयों पर किसानों की मांगों को लेकर कांग्रेस और किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन किए। कुछ जगह दूध और सब्जियों को भी सड़कों पर फैलाया गया लकिन नतीजा सिफर ही रहा। जोधपुर में कांग्रेस की रैली में स्थानीय राजनीति हावी दिखी, जिससे भीड़ नहीं जुटी, वहीं अन्य स्थानों पर शहर-देहात कांग्रेस के पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं के साथ जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिए। जोधपुर जिला कलेक्ट्रेट के बाहर दस मिनट तक विरोध प्रदर्शन हुआ। वरिष्ठ नेता कलेक्टर को ज्ञापन देने गए पीछे कार्यकर्ता एक-एक कर लौट गए। यही नजारा राजस्थान के कई क्षेत्रों में देखा गया ।
सीकर में पायलट और गहलोत के बीच दिखा मनमुटाव
राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे है। सीकर में हुई कांग्रेस की रैली भी एक फ्लॉप शॉ की भेंट चढ़ गया था तो बाकि जगह पर कांग्रेसियों का नेतृत्व करने वाला कोई वरिष्ठ और राज्य स्तरीय नेता रहे ही नही है। सचिन पायलट की सीकर में किसान रैली में भी अशोक गहलोत और सीपी जोशी के नही पहुंचने से कार्यक्रम कार्यकर्ताओं तक ही सीमित हो गया। अशोक गहलोत के गुजरात जाने के बाद राजस्थान में कांग्रेस की कलह और अधिक सामने आ रही है। राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं में बहस छिड़ी हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपनी अंधरुनी कलह से जूझ रही है। देखना यह होगा की आखिर कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठेगा?