भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से तीन दिन के लिए इज़राइल दौरे पर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से दोनों एशियाई देशों के आपसी संबंधों में बेहतरी आएगी। बाह्य सुरक्षा, कृषि और व्यापार से जुड़े अनेकों समझौते इस दौरान होने की संभावना है। गौरतलब है कि अब तक पिछले 70 सालों में नरेंद्र मोदी इज़राइल जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। हालांकि इससे पहले 2015 में पहली बार हमारे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इज़राइल दौरे पर गए थे। इस तरह दोनों देशों की बीच रिश्ते लगातार बेहतर होते चले गए। लेकिन दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत आज से 25 साल पहले 1992 में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में हो गई थी।
द्विपक्षीय संबंधों में मज़बूती आएगी:
प्रधानमंत्री मोदी के इज़राइल दौरे से दौनों मित्र देशों की मित्रता और अधिक मज़बूत होगी। दोनों देशों के बीच 25 साल पहले बने द्विपक्षीय सम्बन्ध इस यात्रा से और अधिक मधुर होंगे। इस दौरे पर भारत-इज़राइल के बीच अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, कृषि तकनीक, और आपसी कारोबार से जुड़े समझौते हो सकते है। 10 हजार करोड़ रुपए की स्पाइक और बराक-8 मिसाइल भारत को दिए जाने का करार हो सकता है। मोदी के इस दौरे से दोनों देशों के बीच 25 साल पहले बने बाइलेटरल रिलेशन और मजबूत होने की उम्मीद है।
हमें डिफेंस सेक्टर में मदद मिल सकती है:
भारतीय प्रधानमंत्री के इस दौरे से यह कयास लगाए जा रहे है कि मध्य-पूर्वी एशिया का देश इज़राइल डिफेंस सेक्टर में हमें अच्छी तकनीक और साधन उपलब्ध करवा सकता है। भारत इज़राइल से एंटी टैंक मिसाइल ‘स्पाइक’ और एयर डिफेंस मिसाइल बराक-8 की खरीद कर सकता है। इस सुरक्षा सौदे के तहत दो साल के अंदर इज़राइल भारत को 8000 मिसाइल देगा। भारत को इस सौदे के लिए करीब 1.5 अरब डॉलर (लगभग 9729 करोड़ रुपए) की राशि चुकानी होगी।
भारत हमेशा से इज़राइल से हथियार खरीदता रहा है। संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार इज़राइल, अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक देश है। पिछले तीन साल में ही अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत ने इज़राइल के साथ 1 अरब डॉलर (76 अरब रुपए) की डील की है।
अच्छे कारोबारी रिश्ते है भारत-इज़राइल के:
दोनों देशों के बीच कारोबार और आपसी आयात-निर्यात की दृष्टि से साल-दर-साल रिश्तें बेहतर बन रहें है। 25 साल पहले 1992 में दोनों राष्ट्रों के आपसी संबंधों के शुरूआती दिनों में जहाँ दोनों देशों के बीच 20 करोड़ डॉलर (करीब 1300 करोड़ रुपए) का कारोबार था, वहीँ बढ़कर 2013-14 में 606 करोड़ डॉलर (करीब 39 हजार करोड़ रुपए) तक पहुंच गया है।
भारत इज़राइल से मुख्यतः मशीनरी, इलेक्ट्रिकल इक्युपमेंट्स, इमेज और सांउड रिकॉर्डर खनिज उत्पाद, केमिकल, व्हीकल, एयरक्राफ्ट, जहाज के सामान और ट्रांसपोर्ट इक्युपमेंट्स आयात करता है। इसके साथ ही भारत से उर्वरक, रसायन, हीरें, प्लास्टिक और रबर इज़राइल निर्यात किया जाता है।
खेती की तकनीक में सुधार आएगा, आतंकवाद पर भारत का साथ देगा इज़राइल:
दुनियाभर में उन्नत कृषि तकनीकों के लिए पहचाने जाने वाले इज़राइल की सहायता से भारत खेती की नयी आधुनिक बचत करने वाली तकनीकें ले पायेगा। इज़राइल में पानी की कमी होने की वजह से बूंद-बूंद पानी से सिंचाई की जाती है। इससे 90 फीसदी तक पानी की बचत होती है। मध्य-पूर्वी एशिया का यह राष्ट्र इस तकनीक का एक्सपर्ट है। अभी भारत के सूखे से प्रभावित कुछ क्षेत्रों विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य प्रदेश में बूँद-बूँद सिंचाई प्रणाली का उपयोग हो रहा है। अब इस तकनीक में भारत को इज़राइल से और मदद मिल सकती है। इसके अलावा हॉर्टिकल्चर (फल उत्पादन) और फ्लोरीकल्चर (फूल उत्पादन) में भी इज़राइल विश्व में जाना जाता है।
आतंकवाद के विरोध के मसले पर भी इज़राइल का रुख कड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भारत की नीतियों का सम्मान करने वाला इज़राइल सुरक्षा परिषद् में भी भारत को परमानेंट मेंबरशिप दिए जाने का समर्थन करता है। इज़राइल से नज़दीकियां बढ़ने पर पश्चिमी देशों और अमेरिका को अपने पक्ष में किया जा सकेगा। वहीँ पाकिस्तान और चीन के लिए इससे समस्या होगी।