गोपालकृष्ण गाँधी को विपक्ष ने बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार, करीब से जानिये गोपालकृष्ण गाँधी को

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केंद्र की एनडीए सरकार के विरोध के लिए यूपीए के नेतृत्व में पूरा विपक्ष आज संसद भवन में एकजुट नज़र आया। सभी विपक्षी दलों की सहमति से यूपीए ने अगले माह 5 अगस्त को होने जा रहे उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय किया। सभी 18 विपक्षी पार्टियों ने एकमत होकर साझा उम्मीदवार के रूप में महात्मा गाँधी के पौत्र, पूर्व राजनयिक और पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गाँधी के नाम पर मुहर लगा दी। इस तरह विपक्षी दलों के एकमत स्वर से गोपालकृष्ण गांधी को यूपीए का अगला उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाया गया।

गलती दोहराने से बची कांग्रेस:

आगामी 5 अगस्त को होने जा रहे उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपीए ने अपना उम्मीदवार एनडीए से पहले तय कर दिया है। इस तरह कांग्रेस गठबंधन यूपीए अपनी पिछली गलती दोहराने से बच गया। 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने में विपक्ष को सत्तारूढ़ दल भाजपा के एनडीए गठबंधन से देरी हो गयी थी। इस कारण रामनाथ कोविंद के रूप में एनडीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार देखकर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू (जनता दल यूनाइटेड) ने विपक्ष का साथ छोड़कर कोविंद की उम्मीदवारी को समर्थन दे दिया था। लेकिन इस बार बिखराव की स्थिति से बचने के लिए यूपीए ने सारे विपक्षी दलों को साथ लेकर पहले ही साझा सहमति से अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार निर्धारित कर दिया।

जदयू भी हुआ शामिल:

उपराष्ट्रपति पद पर उम्मीदवार तय करने के लिए आयोजित की गई विपक्ष की इस साझा बैठक में राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को समर्थन देने वाली जेडीयू ने भी भाग लिया। हालांकि नीतीश कुमार इस मीटिंग से दूर रहे। लेकिन पार्टी के महासचिव शरद यादव ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई। कांग्रेस की अगुवाई में आयोजित बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ-ब्रायन, सीपीएम के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी से नरेश अग्रवाल, बसपा से सतीश चंद्र मिश्रा, जनता दल सेक्यूलर के देवगौडा और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से अजीत सिंह समेत अन्य विपक्षी नेता इस मीटिंग में शामिल हुए।

जानिये गोपालकृष्ण गाँधी को:

यूपीए के नेतृत्व में विपक्ष के साझा उम्मीदवार बनाये गए गोपालकृष्ण गांधी को भारतीय प्रशासन की गहरी समझ है। गांधी भारतीय उच्चायुक्त, पश्चिम बंगाल के गवर्नर, राजदूत और प्रेसीडेंट सेक्रेटरी जैसे कई महत्वपूर्ण पदों का दायित्व संभाल चुके है। पूर्व राजनायिक गोपालकृष्ण गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते और स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर ‘चक्रवर्ती राजगोपालाचारी’ के नाती है।

  • 22 वर्ष की उम्र में गोपालकृष्ण गाँधी साल 1968 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए चयनित हुए।
  • 1985 में गांधी उपराष्ट्रपति आर.वेंकटरमन के सचिव बनाये गए।
  • बाद में 1987 से 1992 तक आर.वेंकटरमन के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान गोपालकृष्ण गांधी इनके संयुक्त सचिव में रहे।
  • गोपालकृष्ण गांधी साउथ अफ्रीका, लेसोथो, श्रीलंका के उच्चायुक्त भी रहे चुके है।
  • इन्होने नार्वे और आइसलैंड में भारतीय राजदूत के तौर पर भी अपनी सेवा दी है।
  • वर्ष 2000 में राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के सचिव के तौर पर नियुक्त हुए थे।
  • 2004 में उन्हें बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया।
  • भारतीय राजनीति और इतिहास के प्रख़्यात जानकार गोपालकृष्ण गाँधी ने अंग्रेजी में ‘गांधी एंड साउथ अफ्रीका’, ‘गांधी एंड श्रीलंका’, ‘नेहरू एंड श्रीलंका’ जैसी किताबें लिखीं है। वहीं हिंदी में ‘शर्णम’ और ‘दाराशुकोह’ जैसी पुस्तकों के रचनाकार रहे है।

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