राजस्थान के ग्रामीणजन को सालों से अटके हुए ज़मीन-जायदाद के फौजदारी मामलों से निजात दिलाकर उन्हें उनका हक़ दिलाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई राजस्व मामलो की लोक अदालत ‘न्याय आपके द्धार अभियान’ अब तक अपने सभी उद्देश्यों पर खरा उतरा हैं| प्रदेश के किसान, काश्तकार, गरीब वर्ग जो सालों से राजस्व न्यायालयों में लम्बित चल रहे मुकदमों में पिस रहे थे, उनके समय और पैसे की बर्बादी से छुटकारा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की पहल पर वर्ष 2015 से प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म ऋतु में “राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार” कार्यक्रम का संचालन किया जाता है।
आपसी विवाद बदले, आपसी प्यार में:
सरकार की इस नेक कोशिश ”न्याय आपके द्वार कार्यक्रम” में प्रार्थीजन आपस में बैठकर राजीनामा करने के साथ-साथ फिर से पारिवारिक प्रेम व सौहार्द की ओर अपने कदम बढा रहे हैं। ज़मीन से जुड़े स्वामित्व, खातेदारी अधिकार, उत्तराधिकार के झगड़े, सीमाबंदी विवादों के कानूनी मुकदमों का सुगम समाधान आपसी समझाइश और राजीनामा प्रक्रिया द्वारा इन शिविरों में किया गया। न्याय आपके द्वार कार्यक्रम की विश्वसनीयता अब सभी ग्रामीणों व लंबित प्रकरणों से पीड़ित लोगों के बीच बेहतरीन तरीके से स्थापित हो चुकी है। यही कारण है कि दशकों पुराने मामले लेकर लोग आ रहे हैं। बरसों से न्याय की आस लगाए बैठे लोग, इन शिविरों से लाभान्वित होकर लौट रहे है।
अभियान से लौटी शोषित वर्ग की खुशहाली:
दशकों पुराने ऐसे मामले जिनमे समाज के अशिक्षित और अनजान लोगों की ज़मीनों पर ज़मींदार, साहूकार का कब्ज़ा हो गया था, वो आज उसके सच्चे हक़दारों के पास लौट आई है। समाज का वो शोषित तबका आज अपनी खुशहाली का प्रत्यक्ष कारण मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मानता है। अनेकों गाँवों के दलित और अनपढ़ जिनसे महज़ चंद रुपयों के बदले अंगूठा लगवाकर घर-बार छीन लिया गया था, आज उसके जीवन में भी न्याय की बयार आई है। विश्वास बढ़ा है लोगों में कि अब सरकार हमारे साथ है, अब हमारी सुनती है। समाज के दबे वर्ग को उठाकर ये भरोसा देने का काम किया है, राजस्थान सरकार ने।
एक जगह ही मिल जाता है, त्वरित और उचित न्याय:
इन शिविरों में प्रार्थी को त्वरित और उचित न्याय देने के लिए न्याय और प्रशासन के मुखियाओं के साथ ही तहसीलदार, पटवारी, सरपंच व भू-प्रबंधन से जुड़े सभी लोग एक ही जगह मौजूद होते हैं। जिससे किसी भी स्तर पर आवश्यक दस्तावेज़ शिविर में ही उपलब्ध हो जाते हैं। मामले के प्रत्येक चरण की सुनवाई भी एक ही जगह पर हो जाती है।
न्याय आपके द्वार अभियान के पहले चरण वर्ष 2015 में जहाँ 16 हजार शिविरों में 21 लाख 43 हजार से अधिक राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया एवं 164 ग्राम पचायतों को राजस्ववाद से मुक्त किया गया। वहीँ अभियान के दुसरे चरण वर्ष 2016 के अन्तर्गत राज्य भर में 12 हजार 387 शिविर लगाकर, 48 लाख 46 हजार 54 मामलों का निस्तारण कर 431 ग्राम पंचायतों को राजस्व वाद से मुक्त घोषित किया गया। अभियान का तीसरा चरण वर्ष 2017 वर्तमान में सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है।
इस अभियान के द्वारा पिछले दो वर्षों में कुल 69.89 लाख राजस्व प्रकरणों का सफलतापूर्वक निस्तारण कर लाखों लोगों को राहत प्रदान की गई है।