राजस्थान के 25 जिलों को मिली पेयजल समस्या से निज़ात, मुख्यमंत्री राजे के जलस्वावलम्बन अभियान से बुझी 1000 गांवों की प्यास

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    राजस्थान की प्यास बुझाने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा किए गए प्रयासों का अब सार्थक रूप सामने आने लगा है। यह एक ऐसी ख़बर हैं जिसे सुनकर सभी को आत्मिक संतुष्टी मिलेगी और एक प्रेरणा भी मिलेगी। राजस्थान की मुखिया राजे ने एक अभियान चलाकर प्रदेश के हज़ारों गांवों को पानी के लिए किसी के सामने हाथ नही फैलाने दिए। मुख्यमंत्री राजे के इस अभियान का ही नतीजा हैं कि इस भयंकर गर्मी में भी 1000 गांवों को पानी के लिए कहीं दूर नही जाना पड़ता। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सबसे ड्रीम प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री जलस्वावलम्बन अभियान का बड़ा असर अब प्रदेश की जनता को राहत के रूप में दिखने लगा है।

    आत्मनिर्भर हुए गांव, टेंकरों की मनमानी से मिली मुक्ती

    मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के प्रथम चरण में दो हजार से ज्यादा गांवों में कराए गए जलसंरक्षण कार्यों के बाद प्रदेश के एक हजार से अधिक गांव पेयजल को लेकर पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन गए हैं। वहीं अभियान के बाद प्रदेश के 42 शहरों को भी इस बार गर्मी के दौरान टेंकरों से पानी पहुंचाने से मुक्ति मिल गई है। पिछले साल मई माह के दौरान जिन गांवों में पेयजल किल्लत की समस्या के चलते टेंकरों से पेयजल पहुंचाया गया था उन गांवों में मुख्यमंत्री जलस्वावलम्बन अभियान के तहत कराए गए कार्यों के बाद टेंकर सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई है।

     

    1700 लाख की लागत से हुए जल संरक्षण के कार्य

    मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने साल 2016 को जलसंरक्षण वर्ष के रूप में मनाने के साथ ही प्रदेश को पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री जलस्वावलम्बन अभियान की शुरूआत की। अभियान के प्रथम चरण में पिछले साल आमजन के सहयोग से प्रदेश के 2142 गांवों में जलसंरक्षण के कार्य शुरू किए। करीब 1700 लाख की लागत से कराए गए कार्यों से प्रदेश के एक हजार से ज्यादा गांव पानी को लेकर पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन गए।

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    25 जिलों को पेयजल किल्लत की समस्या से मिली राहत

    मुख्यमत्री जलस्वावलम्बन अभियान के बाद इस बार भीषण गर्मी के बाद भी प्रदेश के 33 में से 25 जिलों के गांवों में पेयजल किल्लत की समस्या से बड़ी राहत मिली है। मई माह में पिछले साल जहां 1244 से ज्यादा गांवों में 3120 टेंकरों से पानी पहुंचाया गया था, वहीं अभियान के बाद इस बार गर्मियों में मात्र 8 जिलों के 282 गांवों में 705 टेंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है।

    गांवों में ही नही शहरों में भी हुई टेंकरों से सप्लाई बंद

    इसी प्रकार पिछले साल मई माह के दौरान पेयजल किल्लत की समस्या के चलते प्रदेश के 56 शहरों में 3555 टेंकर पेयजल सप्लाई किए गए थे। वहां इस बार मात्र 14 शहरों में 1962 टेंकर पेयजल सप्लाई किया जा रहा है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री जलस्वालम्बन अभियान के तहत पिछले वर्ष प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कराए गए जलसंरक्षण कार्यों से गांवों और शहरों में काफी हद तक पेयजल किल्लत की समस्या से राहत मिली है।

    जल स्वावलम्बन अभियान का दूसरा चरण भी 30 जून तक होगा पूरा

    मुख्यमंत्री जलस्वावलम्बन अभियान के प्रथम चरण की सफलता के बाद राज्य सरकार की ओर से दूसरे चरण में प्रदेश के तीन हजार 743 गांवों और 56 शहरों में जलसंरक्षण कार्य शुरू किए हैं। जलदाय विभाग की ओर से इनमें से 215 कार्य पूरे भी कर लिए गए हैं।

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