अजमेर नगर निगम के मेयर पद के चुनाव के विवाद पर 20 अक्टूबर को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संख्या 1 की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत में उस बक्से को रखा गया, जिसमें मेयर पद के चुनाव के वोट और चुनाव प्रक्रिया की सीडी बंद थी। चुनाव कार्यालय के अधिकारी छोटेलाल मीणा ने अदालत में जब बॉक्स का ताला खोलने का प्रयास किया तो ताला नहीं खुला। मीणा ने आशंका जताई कि चाबी बदल गई है। मीणा ने कहा कि वे शुक्रवार को दूसरी चाबी लाकर बॉक्स को खोल देंगे। इस पर न्यायालय ने 21 अक्टूबर की तारीख अगली सुनवाई के लिए निर्धारित की है। इससे पहले मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के वकील गोपाल अग्रवाल ने एक प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि चुनाव के मतपत्रों और सीडी को रिकार्ड पर लेने की कोई आवश्यकता नहीं है इसलिए अदालत में लाए गए बॉक्स का ताला नहीं खोला जाए, लेकिन अदालत ने अग्रवाल के इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। अदालत में सुरेन्द्र सिंह शेखावत के वकील सुरेन्द्र जालवाल ने आशंका जताई कि वोट और सीडी वाले बॉक्स की चाबी बदल दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बदली हुई चाबी से गड़बड़ी की आशंका उत्पन्न होती है। वकील ने कहा कि इस पूरे मामले में चुनाव के मतपत्र और वीडियोग्राफी महत्वपूर्ण है। इन्हीं से पता चलेगा कि चुनाव के समय निर्वाचन अधिकारी ने नियमों की किस तरह अवहेलना की है।
यह है मामला
कोई एक वर्ष पहले जब मेयर का चुनाव हुआ था तो धर्मेन्द्र गहलोत भाजपा के उम्मीदवार थे और गहलोत का मुकाबला अपनी ही पार्टी के बागी सुरेन्द्र सिंह शेखावत से हुआ था। उस समय शेखावत को कांग्रेस के पार्षदों का समर्थन भी मिला। इसलिए 60 पार्षदों में से 30-30 वोट शेखावत और गहलोत को मिले। नियमों के मुताबिक जब पर्ची निकाल कर मेयर का फैसला किया गया तो शेखावत ने निर्वाचन अधिकारी हरफूल सिंह यादव पर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया। शेखावत का कहना रहा कि पहली बार हाथ में ली गई पर्ची में उन्हीं के नाम की पर्ची थी लेकिन यादव ने मेरे नाम की पर्ची को गिराकर गहलोत के नाम की पर्ची उठा ली। शेखावत ने एक मत को लेकर भी चुनौती दी है।
(एस.पी. मित्तल)