जयपुर। कुत्ता इंसानों के लिए सबसे प्रिय पालतू जानवर होता है। आपने कुत्ते और उसके मालिक के बीच इमोशनल लगाव की कई कहानियां सुनी होंगी। इंसानों को उनका पालतू कुत्ता इतना प्रिय होता है कि कई बार उसके जाने का गम भूल नहीं पाते हैं। कुत्ते की मौत के बाद उसे पूरे विधि विधान से दफनाया गया। घर के लोगों ने मुंडन करवाया। हिंदू रीति रिवाज से जागरण हुआ और भंडारा व हवन भी हुआ। यह सब एक पालतू कुत्ते की मौत पर किया गया। साधु संतों को बुलाया गया। यह मामला है सीकर जिले के फतेहपुर के भार्गव मोहल्ला निवासी अशोक गौड़ के घर का है।
इलाज के लिए अमेरिका से ढाई लाख की दवा मंगाई
अशोक गौड़ अपने पालतू डॉग (लेब्रा डौर) कैप्टन को 5 साल पहले दिल्ली से लेकर आए थे। तब वह मात्र 15 दिन का था। उसे फैमिली मेंबर की तरह रखा। जल्दी ही वह परिवार के सदस्यों की जिंदगी का हिस्सा बन गया। अशोक गौड़ ने बताया कि तीन महीने पहले कैप्टन अचानक बीमार हो गया। उसे दिल्ली ले गए। पता चला कि उसे ट्यूमर है। दिल्ली में इलाज और अमेरिका से मेडिसिन मंगवाई। तीन महीने में दवाओं पर करीब ढाई लाख रुपए खर्च कर दिए। इसके बाद भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और 30 मार्च को मौत हो गई।
श्रद्धांजलि के बाद भंडारे का आयोजन
अशोक गौड़ ने बताया कि कैप्टन बच्चों की तरह ट्रीट करता था। उसे कुछ कहते तो वह मायूस हो जाता। उसका हर साल बर्थ डे भी मनाते थे। कैप्टन की मौत के बाद परिवार ने रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करवाया। विधि-विधान से कैप्टन को दफनाया गया। अशोक गौड़ ने मुंडन भी करवाया। इस दौरान श्रद्धांजलि सभा भी रखी गई। रात को कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें मोहल्ले के लोग भी शामिल हुए थे।