17 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय करेगा गुर्जरों के भाग्य का फैसला, क्या पिछले वर्गों को आरक्षण मिलेगा?

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Supreme court decision on gurjar reservation

इस वर्ष उठे ‘विशेष पिछड़ा वर्ग’ आरक्षण मुद्दे के बाद राजस्थान सरकार और गुर्जर समुदायों के बीच तनातनी का माहौल है। गुर्जरों के लीडर किरोड़ीमल बैंसला ने राज्य सरकार पर ये आरोप लगाया था कि राजे सरकार ने गुर्जरों के आरक्षण का केस ठीक तरह से हाई कोर्ट के माननीय वकीलों और जजों के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया था। इसके उपरान्त राजस्थान कैबिनेट और गुर्जर समुदायों के बीच लम्बे समय तक वार्तालाप चला जिसमे सरकार ने गुज्जरों को आश्वस्त किया था कि हाई कोर्ट का आर्डर उनके पक्ष में ना होने के बावजूद, वे यह मसला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करेंगे।

Gurjar Aarakshan 2017

इस दिशा में सरकार ने जल्द ही बढ़त हासिल कर ली है। राज्य सरकार ने सोमवार को विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) कोटा मामले में जल्दी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुर्जरों के पक्ष में एक आवेदन पेश किया था। उनके द्वारा प्रस्तुत किये गए आवेदन की सुनवाई इस महीने 17 अप्रैल को होगी।

राजे सरकार के पिछले कार्यकाल (2003-2008) के दौरान सरकार द्वारा विशेष पिछड़े वर्गों (एसबीसी) को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में 5% आरक्षण प्रदान किया गया था। इस कोटे में गुज्जर भी शामिल थे परन्तु गत वर्ष राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस आरक्षण को गैरसांवैधानिक घोषित कर के रद्द कर दिया था। इसके बाद से ही गुज्जर समुदायों ने इसका विरोध किया जिसके बाद यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया।

उच्च न्यायालय के फैसले से प्रभावित राज्य सरकार और एसबीसी उम्मीदवारों ने सर्वोच्च न्यायालय से इस मामले को जल्द से जल्द तय करने का अनुरोध किया है, क्योंकि राज्य में कुछ रिक्त पदों के लिए भर्ती की जा रही है जिसको ले के असमंजस कि स्थिति है। चूंकि इन भर्तियों की परीक्षा उच्च न्यायालय का फैसला आने से पहले हुई थी अतः गुर्जरों का कहना है कि उनको पूर्व नियमों के अनुसार भर्ती दी जाये परंतु हाल ही में उच्च न्यायालय ने राजस्थान लोक सेवा आयोग को आदेश दिया है कि वे नए नियमों के अनुसार ही भर्तियां करें।

इससे सरकार के लिए मुश्किलें और बढ़ गयीं हैं। इस कारणवश सरकार जल्द सुनवाई कर के अटकी हुई भर्तियों का मामला जल्द निपटाना चाहती है। अब राजे सरकार के साथ ही साथ गुर्जरों की भी उम्मीद सर्वोच्च न्यायालय से बंधी हुई है। सबको आगामी सुनवाई का इंतज़ार है। इस बीच राज्य सरकार ने अपने बजट 2017 के अंतर्गत विशेष पिछड़े वर्गों को लाभ पहुंचाने का भरसक प्रयास किया है। अगर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिया गया निर्णय गुर्जरों के पक्ष में नहीं होता है तो सरकार देव नारायण तथा ऐसी ही अन्य योजनाओं की मदद से गुर्जर तथा अन्य पिछड़े समुदायों को सरकारी लाभ प्रदान करेगी।

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