कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकता है गुजरात चुनाव का अंतिम चरण

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गुजरात विधानसभा के लिए प्रथम चरण के मतदान 14 दिसंबर को हो चुके हैं। अब दूसरे और अंतिम चरण के मतदान गुरुवार को होने जा रहे हैं। यानी कल 14 दिसंबर को गुजरात विधानसभा के लिए दूसरे और अंतिम चरण के मतदान सम्पन्न हो जाएंगे। इन चुनावों के नतीजे 18 दिसंबर को आने हैं। गुजरात में कुल 182 विधानसभा की सीटें हैं जिसमें पहले चरण में 89 सीटों के लिए मतदान हो चुके हैं। अब दूसरे और अंतिम चरण में 93 सीटों पर मतदान होने हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टिया गुजरात में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही हैं। लेकिन गुजरात चुनाव का दूसरे और अंतिम चरण कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकता है। आईये जानते हैं कांग्रेस के लिए गुजरात चुनाव का अंतिम चरण क्यों मुश्किल हो सकता है..

दूसरे चरण में कांग्रेस की राह आसान नहीं

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कांग्रेस पहले चरण में हुए मतदान को लेकर पहले चरण को लेकर कांग्रेस आश्वस्त दिख रही थी, लेकिन दूसरे चरण में उसके लिए राह आसान नहीं होगी। पहले चरण की 89 सीटों में पाटीदारों का प्रभाव सबसे ज्यादा था जिससे कांग्रेस को पहले चरण में अच्छी सीटेें मिलने की उम्मीद है। लेकिन कांग्रेस के लिए दूसरा चरण काफी मुश्किलों वाला है क्योंकि कांग्रेस को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन के बोझ, एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर बागी उम्मीदवारों और भाजपा की उसके आदिवासी वोटबैंक पर नजर जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।

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कांग्रेस के अंदर की समस्याएं कर रही पार्टी को कमजोर

कांग्रेस के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान में 32 सीटों वाला उत्तर गुजरात काफी महत्व रखता है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां 32 में से 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार पार्टी को आंतरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो पार्टी को कमजोर कर रही है। उत्तर गुजरात की 13 सीटों पर कांग्रेस के 16 बागी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में खड़े हैं। कांग्रेस को सबसे बड़ी चुनौती बनासकांठा जिले में है, जहां पार्टी को 9 में से 5 सीटों पर बागियों का सामना करना पड़ेगा। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कई सीटों पर 1,000 या इससे कम वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इन आंकड़ों को देखते हुए इन सीटों पर मुकाबला और ज्यादा कड़ा होने की संभावना है।

आदिवासियों के बीच बीजेपी ने बनाई अच्छी पैठ कांग्रेस के लिए बड़ी चोट

कांग्रेस की यहां सबसे बड़ी चिंता बीजेपी की नई रणनीति है जिसके तहत पिछले 2 वर्षों में वीएचपी और आरएसएस के जरिए बीजेपी ने पूर्वी गुजरात में आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ बना ली है। कांग्रेस के लिए यह बड़ी चिंता इसलिए भी है कि अनुसूचित जनजातियों के लिए यहां 27 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से अधिकतर सीटों पर गुरुवार को मतदान होगा। जिसमें पंचमहल, छोटा उदयपुर और दाहोद जिलें शामिल हैं। वीएचपी की ओर से चलाए जाने वाले एकल विद्यालयों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। ये एकल स्कूल आदिवासी बच्चों को बेहतर एज्यूकेशन, आवास, यूनिफॉर्म और भोजन उपलब्ध कराते हैं। कांग्रेस के पास इन 27 आरक्षित सीटों में से पिछले चुनाव में 16 सीटें हैं। बीजेपी ने यहां संघ प्रचारकों के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाया है जिसकी वजह से इस विधानसभा चुनावों में बीजेपी को फायदा मिलना स्वाभाविक है।

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