राजस्थान को रोशन करने की दिशा में एक ओर कदम, ग्राम ज्याति योजना पर खर्च होंगे 2805 करोड़ रुपए

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Gram Jyoti Yojana

राजस्थान धीरे-धीरे एक आत्मनिर्भर प्रदेश बनता जा रहा है जहां कुछ साल पहले राजस्थान की गिनती देश के पिछड़े राज्यों में होती थी वहीं आज राजस्थान को देश के सबसे अग्रणी राज्यों में गिना जाता है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कुशल नेतृत्व में प्रदेश ने विकास किया है तथा जमीनी स्तर पर आधारभूत ढांचे और किसानों को मजबूत करने का काम किया है। मुख्यमंत्री राजे ने हर घर को रोशन करने के लिए कई योजनाओं को लागू किया है इन योजनाओं में ग्राम ज्योति योजना भी शामिल है। ग्राम ज्योति योजना से प्रदेश की सुदूर गांव और ढ़ाणियों को रोशन किया गया है। प्रदेश के अंतिर छोर में विद्युत सप्लाई करने के लिए अब ग्राम ज्योति योजना के तहत 2805 करोड़ रुपए के कार्य करवाए जाने है।

7.60 लाख घरेलू कनेक्शन देने का है लक्ष्य

राजस्थान में दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत चलाई जा रही ग्राम ज्योति योजना पर 2805 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके तहत 33 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान की छितराई आबादी एवं ढ़ाणियों में बिजली पहुंचाने के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय मदद की मांग भी रखी। उन्होंने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में इस योजना में प्रदेश के दूरदराज गांवों, ढ़ाणियों और बी.पी.एल. परिवारों को 7.60 लाख घरेलू कनेक्शन देने का लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री की पहल से उदय योजना में भी राजस्थान अग्रणी

मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान में नवीनीकृत उर्जा के क्षेत्र में हुए काम को एक मिसाल के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पहल पर उर्जा क्षेत्र में सुधार उपायों को अपनाने और केन्द्र के साथ ‘उदय’ योजना में भागीदारी में भी राजस्थान अग्रणी प्रदेश है।

उर्जा राज्यमंत्री ने राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों की चर्चा करते हुए बताया कि प्रदेश के रेगिस्तानी और आदिवासी क्षेत्र में छितराई आबादी और ढ़ाणियों तक बिजली पहुंचाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने इस चुनौती का सामना करने के लिए केन्द्रीय उर्जा राज्यमंत्री से राजस्थान को विशेष केन्द्रीय सहायता दिलवाने का आग्रह किया। सिंह ने गोयल से कोयला परिवहन पर सैस कम करने का आग्रह भी किया। उन्होंने बताया कि कोयला परिवहन पर सैस के कारण बिजली उत्पादन की लागत बढ़ रही है।

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