राजस्थान सरकार किसानों के हितों की सरकार है इसलिए किसानों के कल्याण और आर्थिक हितों के लिए सरकार समय समय पर कई योजनाएं लेकर आ रही है जिनसे किसान वर्ग को लाभ हो सकें ।
यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमति वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान सरकार किसानों की कृषि आय में वृद्धी करने के लिए कृषि एंव कृषि से संबंधित परितंत्र में परिवर्तन करने जा रही है। यह परिवर्तन है ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट-2016(ग्राम-2016)।
राजस्थान सरकार की ‘ग्राम’ की अवधारणा से किसानों को वैश्वीकृत बाजार, लाभकारी उपक्रमों की गतिविधियों की जानकारी, आर्थिक व्यवहार, कृषि की तकनीकी व्यवहार को बदलने और सुधारने के लिए एक आधार प्रदान किया जाएगा।
राजस्थान सरकार ग्राम के रुप में किसानों को एक कृषि- तकनीकी एंव व्यापार समारोह का प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवा रही है । इस व्यापार समारोह में देश-प्रदेश के सभी भागीदार जैसे किसान, शिक्षाविद, तकनीकीविदों, कृषिव्यापार कंपनियां और नीति निर्माताओं को एक मंच पर खड़ा करेगा । जिससे कृषि की नई विधियों और बेहतरीन कार्य व्यवहारों के जरिए कृषि संबंधित कार्यों पर विस्तृत रूप से चर्चा कर सकें।
3.4 करोड़ हेक्टेयर के क्षेत्रफल से राजस्थान देश का सबसे ब बडा राज्य है। इस राज्य में करीब 6.86 करोड़ लोग निवास करते है। इसलिए प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा कृषि एंव कृषि से संबंधित कार्यों पर निर्भर है।
आर्थिक महत्व-
- 2015 में कृषि एंव कृषि से संबंधिक क्षेत्र का देश की जीएसडीपी में 31 फीसदी योगदान रहा। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से 20 फीसदी ज्यादा है।
- राजस्थान की 2/3 जनसंख्या कृषि क्षेत्र सें सीधा संबंध रखती है यानी करीब 27 फीसदी लोग खेती या बागान श्रमिक के रूप में कार्य करते है।
- प्रदेश ने 2005 से 2015 के दशक में कई सेक्टरों में 1.28 अरब अमरिकन डॉलर के संचयी प्रत्यक्ष निवेश को अकृषित किया है।
- मौजूदा मुल्यों पर राजस्थान की जीएसडीपी ने 2010 से 2015 के बीच 8 फीसदी के सीएजीआर के साथ बढोत्तरी की जो देश की जीडीपी से 1.2 गुना ज्यादा रही।
- प्रदेस में प्रतिव्यक्ति आय 2015 के वित्तिय वर्ष में बढकर 33186 रुपये हो गई।
राजस्थान के कृषि क्षेत्र पर एक नजर
राजस्थान में कृषि , बागवानी, कृषि आगत, प्लास्टीकल्चर, सिंचाई, जैविक कृषि, कृषि यंत्रीकरण, संरक्षित कृषि, पशुपालन, ऊन, डेयरी, कृषि प्रसंस्करण, कृषि निर्यात क्षेत्र, फसल कटाई-पश्चात प्रबंधन जैसा एक विस्तरित क्षेत्र कृषि कार्यों में लिप्त हैं।
ग्राम-2016 से राजस्थान को होने वाले लाभ
1- विशाल ग्राहक आधार :- प्रदेश की सीमा देश के पांच राज्यों से मिलती है जहां का ग्राहक राजस्थान से अपनी पूंजी सांझा करता है। इससे एक विशाल ग्राहक राजस्थान के बाजारों तक अपनी पहुंच बनाता हैं।
2- कृषि प्रधानता :- कृषि की प्रबल सांस्कृतिक महत्ता और बोई गई फसलों की विविधता राजस्थान भरतीय राज्यों में राजस्थान को अग्रणी स्थान दिलाती है।
3-रणनीतिक अवस्थिति :- उत्तरी और पश्चिमी राज्यों के बीच एक कुदरती गलियारे के रूप में होने की वजह से यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और वाणिज्य केन्द्र है।
व्यापक संपर्क सुविधा :- कुल 7,310 किमी से अधिक लंबाई के साथ इसका सड़क नेटवर्क देश में दूसरे स्थान पर है।
भूमि की उपलब्धता :- जैविक कृषि, संविदा कृषि और कटाई-पश्चात अवसंरचना निर्माण के क्षेत्र में यहां विशाल अवसर उलब्ध है।
मजबूत औद्योगिक अवसंरचना :- 2 कृषि निर्यात क्षेत्रों (एईजेड) के विकास के लिए चार एग्रो फूड पार्कों की स्थापना
निर्यात की भारी संभावना :- मसाला निर्यात के मामले में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है और भारत के कृषि निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सरकारी सहायता :- मसाले, फल और सब्जियों के निर्यात पर सरकार द्वारा आर्थिक सहायता और छूट दी जाती है।
सिंगल विंडो क्लियरेंस प्रणाली :- निवेश आवेदन की ऑनलाइन सुपुर्दगी और निगरानी तथा समय-बद्ध निबटान के लिए एक एकल बिन्दु इंटरफेस उपलब्ध है।
क्यों करें राजस्थान में निवेश
राजस्थान सरकार के व्यापक प्रयाशों के बाद राजस्थान कृषि एंव विपणन हब के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। निवेश के लिए कई देशों के निवेशकों ने राजस्थान को अपनी पसंदीदा राज्य के रूप में चुना है।
राजस्थान में निवेश की अपार संभावनाओं को देखते हुए यहां पर दाब सिंचाई, सौर पंप, निर्यात क्षमता के साथ कृषि यंत्रिकरण जैसे क्षेत्रों में अपार विकास हुए है। अब राजस्थान में कृषि यंत्रिकरण से संबंधित सभी यांत्रिक गतिविधियां आसानी से उपलब्ध हो रही है ।
यांत्रिक कृषि के लिए भूमी का उपयोग से लेकर भूमि का संरक्षण, बीज औऱ उर्वरक, पादप सुरक्षा, फसल कटाई, बागवानी, छंटाई, पॉलिसिंग, वैक्सिंग, पैकेजिंग और परिवहन जैसे सभी कार्य किसानों के लिए पर्याप्त रूप से उपलब्ध करवाये जा रहे है।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के छोटे किसान या सीमांत किसान कृषि गतिविधियों के लिए अपने उपकरण खरीदने में अक्षम रहते है ऐसे में सरकार द्वारा कृषि यंत्र औऱ उपकरण की कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किये जाए ।
राजस्थान में जैविक खेती की भी अपार संभावनाए है। सरकार जैविक कृषि के विकास का बढावा देने के लिए आर्थिक सहायता दे रही है। खाद्यान, तेलहन, दलहन, फल एंव संब्जियां, बीज एंव मसालें, वन्य उत्पाद के लिए भी किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।
राजस्थान सरकार पैकेज्ड फूड के उत्पादों में भी सामयिक वृद्धी के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। राजस्थान में 35 फीसदी कामगर महिलाओं की भागीदारी से तैयार खाद्य या पैकेज्ड फूड उत्पादों में वृद्धी हुई है।
इसके अलावा राजस्थान सरकार कृषि निवेश को लेकर कई अन्य प्रकार के कृषि से संबंधित उपक्रमों का संचालन कर रही है। जैसे बीज अनुशंधान एवं विकास इकाइयां, फसल तकनीकी एवं कृषि रासायन, संचाई तकनीकी, कार्बनिक फार्मिंग निवेश आदि।
राजस्थान सरकार कृषि औऱ विरणन से संबंधित किसानों के हितों के लिए विभिन्न कार्य भी निरंतर कर रही है। इन कार्यों में कोल्ड स्टोरेज एवं वेयरहाउसिंग के साथ आधुनिक आपूर्ति श्रृंखला, कृषि उत्पाद अधिप्राप्ति केंद्र, कृषि अवशेष अधिप्राप्ति एवं पुनर्चक्रण, पैकेजिंग केंद्र, कृषि अवशेष आधारित पाउडर प्लांट, फलों एवं सब्जियों के लिए वैक्सिंग प्लांट, पैक हाउसेज एवं कोल्ड चेन, डेयरी, चीज प्रसंस्करण सहित डेयरी उत्पाद, उच्च गुणवत्तायुक्त पशुधन आहार, पशुधन के लिए बेहतर जेनेरिक ब्रीड्स और ऊंट एवं बकरी के दूध का प्रसंस्करण जेसे प्राकलन कार्य।
प्रदेश में सरकार द्वारा ऊन आधारित उद्योग भी विकसित किये जा रहै है। ऊन के उपयोग के लिए कार्पेट विनिर्माण केंद्र खोले जा रहै है और किसानों को ऊन-आधारित उद्योंग खोलने के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।
कच्ची सामग्री (खाद्य अनाज, बागबानी, डेयरी इत्यादि में कृषि उत्पाद) प्रसंस्करण के क्षेत्र में बड़ी संभावना है और सरकार राज्य में कृषि/बागबानी/पशु उत्पादों के विनिर्माण एवं प्रसंस्करण में शामिल उद्योगों के लिए वैट/सीएसटी प्रदान करने द्वारा सक्रिय रूप से पैकेज्ड फूड को प्रक्रमित कर रहा है। राज्य में खाद्य-भोजन/पैकेज्ड फूड के विनिर्माण में अनेक अवसर उपलब्ध हैं।
विपणन एवं मंडी केंद्र
- फलों एवं सब्जियों पर बाजार शुल्क में छूट
- मार्केट यार्ड के बाहर से फलों एवं सब्जियों की खरीद पर कोई बाजार शुल्क/प्रयोक्ता शुल्क
- अनुबंध कृषि की अनुमति है ताकि प्रसंस्कारकों/खरीददारों के लिए गुणवत्तापूर्ण एवं पर्याप्त उत्पाद सुनिश्चित किया जा सके।
- मंडी क्षेत्र में खरीद केंद्रों की स्थापना द्वारा राज्य भर के किसानों से सीधे खरीददारी करने के लिए विशेष लाइसेंस जारी किया जा सकता है।
- मंडी यार्ड में गए बिना प्रसंस्करण केंद्र पर प्रसंसकरण कर्ताओं द्वारा सीधी खरीददारी की अनुमति है।
- निजी क्षेत्रों द्वारा निजी उप-बाजार यार्ड्स का निर्माण – ताकि मंडी तक पहुंच आसान बन सके, निजी/कॉरपोरेट क्षेत्र को कृषि विपणन के निदेशक द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने के बाद मंडी यार्ड्स के निर्माण की अनुमति है।
ग्राम-2016 के उद्देश्य
किसान सशक्तिकरण
किसानों को नवीनतम जानकारियों और बेहतरीन कार्यव्यवहारों से सशक्त बनाना।
कृषि-नवाचार का प्रदशन
कृषि क्षेत्र में नवाचारों और उद्यमिता समाधानों को प्रदर्शित करने के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करना।
विपणन मेल-जोल
कृषि-फर्मों के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करना ताकि वे खुद को प्रोत्साहित कर सकें और/या प्रोमोटोटर पा सकें।
संयुक्त उपक्रम
समान उद्देश्यों एवं रणनीतिक परिसंपत्तियों के साथ फर्मों के बीच संयुक्त उपक्रमों को सुगम बनाना।
तकनीकी हस्तांतरण
इच्छुक फर्मों/व्यक्तियों के बीच जानकारी एवं तकनीकी का हस्तांतरण करना।
अंतर्राष्ट्रीय निवेश
उन फर्मों को एक प्लेटफॉर्म प्रदान करना जो बड़े निवेश के लिए अपने उत्पादों एवं तकनीक को प्रदर्शित करना चाहते हैं।
व्यवसाय के अवसर
व्यवसाय के नए अवसरों एवं वृद्धि के लिए स्थलों की पहचान हेतु सभी उपस्थित गन्यमानों के लिए एक नया वातावरण तैयार करना।
कृषि-आधारित अनुशंधान को प्रोत्साहन
उद्योग के अग्रणियों के साथ चर्चा करने के लिए शिक्षाविदों एवं कृषि आधारित अध्ययनों के लिए एक स्थान प्रदान करना।
कृषि एवं संबंधित पारितंत्र के लिए समान प्लेटफॉर्म
कृषि एवं संबंधित पारितंत्रों दोनों के प्रदर्शन एवं प्रसार को सुगम बनाना