गैंगस्टर आनंदपाल की मौत के बाद प्रदेश के कई राजपूत नेताओं ने सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोला है। प्रदेश के ब्राह्मण नेता और दीनदयाल वाहिनी के प्रदेशाध्यक्ष भी राजपूत नेताओं के समर्थन में सरकार के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं। भाजपा विधायक तिवाड़ी का यह पहला मौका नही है जब वे सरकार के खिलाफ विरोधियों के साथ मैदान में आएं है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से व्यक्तिगत तौर पर वैमनस्य रखने वाले घनश्याम तिवाड़ी ने राजपूत नेताओं और गैंगस्टर आनंदपाल के समर्थन में अपने हाथ उठाएं है। तिवाड़ी ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि आनंदपाल के परिजनों द्वारा की जा रही मांग न्यायोचित्त है तथा सरकार आनंदपाल के परिजनों की इस मांग को मानकर सीबीआई जांच करवाएं। घनश्याम तिवाड़ी चाहें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के धुर विरोधी क्यों न हो लेकिन वे पार्टी और सरकार को बैकफूट पर धकेलने के लिए अपना जोर पूरा लगा देंगे। घनश्याम तिवाड़ी खुद को भाजपा का वरिष्ठ नेता बताते है और विधायक भी भाजपा के ही हैं लेकिन फिर भी पार्टी और विचारधारा के विरोध में वे हमेशा तत्पर रहते है।
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प्रदेश का गर्व जवान और सैनिक, आनंदपाल के नाम पर तिवाड़ी की ओछी राजनीति
दीनदयाल वाहिनी के संचालक तिवाड़ी ने वैसे तो कोई नही बात नही कि लेकिन उन्हे यह जरूर ज्ञात होना चाहिए कि आनंदपाल के लिए वे सीबीआई जांच की मांग कर राजस्थान के उस जवानों को संदेह के घेरे में खड़ा कर रहे है जो अपनी सेवा और कार्य प्रतिष्ठा के लिए उस खूंखार हथियार धारी अपराधी के सामने सीना ताने खड़े हो गए थे। तिवाड़ी के इस ओछी राजनैतिक प्रपंच से राजस्थान के उन सैनिकों का मनोबल मिट्टी में मिल जाएगा जो सर्दी, गर्मी, दिन और रात चौबिस घंटें प्रदेश की जनता के लिए तत्पर रहते है। आखिर तिवाड़ी के इस वैमनस्य पूर्ण कार्य का क्या उद्देश्य है यह तो वे ही ढ़ंग से बता सकते है लेकिन एक अपराधी का राजपूत के नाम पर सहयोग कर तिवाड़ी प्रदेश में गुंडों और अपराधियों के मनोबल को जरूर बढ़ा रहे है। तिवाड़ी जैसे नेता मौकापरस्त ही होते है और अपने स्वार्थ लिप्सा में किसी भी हद तक जाने की ताक में रहते है ऐसे में आनंदपाल मामला भी तिवाड़ी के लिए उस चटकारें से कम नही था जो सदियों भूखे रहने वाले व्यक्ति को प्राप्त होता है।
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राजपूतों की लड़ाई अवैध, तिवाड़ी साध रहे है स्वार्थ
विधायक घनश्याम तिवाड़ी को पता है कि मुख्यमंत्री राजे के खिलाफ बोलने भर से उनकी पब्लिसिटी हो जाती है तो क्यों ने वे इस रणनिती को काम में लेवें। यह पहला मौका नही है जब तिवाड़ी को मौके का लाभ उठाने के लिए इस प्रकार के प्रपंच नही किए हो। तिवाड़ी को जब-जब मीडिया हाईप नही देता, तब-तब वे मुख्यमंत्री राजे के खिलाफ अपना मोर्चा खोलकर बैठ जाते है, हालांकि तिवाड़ी के पास पैदल कूच, मौन धारण जैसे हथियारों के सिवा हाथ में कुछ नही होता। खैर यहां तिवाड़ी ने राजपूतों के साथ मिलकर गैंगस्टर आनंदपाल के लिए सरकार से दो-दो हाथ करने का निर्णय कर लिया है। लेकिन तिवाड़ी को यह ज्ञात होना चाहिए कि राजपूत कौम भी आनंदपाल के नाम पर भटकाई गई है। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और रणधीर सिंह गुढ़ा जैसे अपराधियों ने राजपूतों में भटकाने का कार्य किया है जिसमें तिवाड़ी ने मिलकर आग लगा दी है। इस आग के सहारे तिवाड़ी भी अपने हाथ सेंकने के लिए तैयार हो गए है जिसपर सांवारद में कईयों ने गर्मी ली है वहां अब तिवाड़ी भी कोशिशों में लगे हुए है।