काला सोना यानि गैस व तेल के भंडार। राजस्थान में अब तक बाड़मेर व जालौर की जमीं से काफी मात्रा में काला सोना निकाला जा चुका है। अब आगे की प्लानिंग की जा रही है। प्रदेश के लिए खुशखबरी इस बात को लेकर है कि इन दोनों जिलों के बाद अब बीकानेर व नागौर की घरती भी काला सोना उगल सकती है। इन दोनों जिलों में भी भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस व अथाह तेल के भंड़ार होने की संभावना जताई जा रही है। इसी संभावना के चलते ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन ज़िले के भदवासी और सारणवास इलाकों में 2डी सर्वे करवा रही है। आपको बता दें कि राजस्थान में 1984 में एक हवाई सर्वेक्षण के बाद तैयार रिपोर्ट में थार के रेगिस्तान में ऊर्जा के अथाह भंड़ार उपलब्ध होने की संभावनाएं जताई गयी थीं। gas oil bikaner nagaur
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मशीनों द्वारा भू-गर्भ का ईसीजी और एक्सरे का काम शुरू
इसी सर्वे के आधार पर कंपनी अब बीकानेर, जोधपुर, नागौर, चूरू और सीकर में इस बेशकीमती ऊर्जा स्त्रोतों की खोज में जुटी है। बाड़मेर व जालौर में यह काला सोना मिलने के बाद यह संभावना और भी गहरी हो गई है। अब ओएनजीसी की टीम बेसलाइन डाटा तैयार करने में जुटी है और भदवासी और सारणवास गांव में बड़ी-बड़ी वाइब्रेटर मशीनें लगाकर काले सोने की तलाश में लगी है। पता चला है कि बीकानेर के छतरगढ़ से नोखा होते हुए नागौर ज़िले के ईनाणा, कुचेरा, श्रीबालाजी, मेड़तासिटी और भदवासी तक अथाह खनिज भंडार होने का संकेत है। अब ओएनजीसी की अधीनस्थ अल्फा जियो इंडिया की टीम मशीनों द्वारा भू-गर्भ का ईसीजी और एक्सरे कर रही है। इन मशीनों से 7-8 किलोमीटर गहराई तक छुपे खनिज भंडार का पता लगाया जा सकता है। gas oil bikaner nagaur
4डी जांच के बाद खनिज भंड़ारों का पता चलेगा
आपको बता दें कि अल्फा जियो इंडिया की बीकानेर से नागौर तक अमरीकी तकनीक से 2डी जांच कर चुकी है। अब नागौर के कुचेरा से आगे 20 किमी तक सर्वे किया जाना बाकी है। उसके बाद भू-गर्भ की ईसीजी और एक्सरे की अमरीका में जांच होगी। जांच में अगर यहां गैस-तेल या कोई और खनिज होने के संकेत मिले तो फिर 3डी और 4डी जांच कराई जाएगी। 4डी जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि भूगर्भ में कौन से खनिज के भंडार हैं। अगर ऐसा है तो राजस्थान की धरा फिर से काला सोना उगलने को तैयार हो जाएगी। gas oil barmer nagaur